कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में मनरेगा योजना एक बार फिर ग्रामीण आबादी के लिए मददगार साबित हो रही है। कई राज्यों में लगे लॉकडाउन के बाद मनरेगा की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा पड़ती हुई नजर आ रही है। इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने मनरेगा योजना को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि लॉकडाउन की वजह से बिगड़े आर्थिक हालात से निबटने के लिए मनरेगा योजना को और मजबूत करना जरूरी है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में उन खबरों को शेयर किया है, जिनमें बताया गया है कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में भी मनरेगा योजना ग्रामीण इलाकों में लोगों के लिए एक बड़ी राहत बन रही है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘देश के कमजोर वर्ग को अबकी बार भी मनरेगा से राहत मिल रही है। लॉकडाउन से हुई आर्थिक तंगी से निबटने के लिए इस योजना को और मजबूत करना ज़रूरी है। सरकार किसी की भी हो, जनता भारत की है और जनहित हमारी जिम्मेदारी है।’

राहुल का सरकार पर निशाना

इससे पहले कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के विरोध में शुक्रवार को दिल्ली तथा देश के दूसरे राज्यों के अलग-अलग इलाकों में विभिन्न पेट्रोल पंपों के निकट सांकेतिक प्रदर्शन किया तथा वृद्धि वापस लेने और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और कुछ अन्य राज्यों में प्रशासन की अनुमति के बगैर प्रदर्शन करने और कोविड प्रोटोकॉल का कथित तौर पर उल्लंघन करने को लेकर कांग्रेस के करीब 150 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। हालांकि पार्टी का दावा है कि सांकेतिक प्रदर्शन के दौरान कोरोना वायरस से संबंधित प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया गया।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने केंद्र सरकार पर महामारी के समय पेट्रोल-डीजल पर कर बढ़ाकर जनता के साथ ‘लूट’ का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘जीडीपी गिर रही है। बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ रही है। ईंधन की कीमतें आसमान छू रही हैं। आखिर भाजपा कितने तरीके से भारत को लूटेगी?” प्रियंका गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया, ‘‘महामारी के दौरान मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर कर वसूले : पूरे 2.74 लाख करोड़ रुपये। इस पैसे से पूरे भारत को टीका (67000 करोड़ रुपये), 718 जिलों में ऑक्सीजन संयंत्र, 29 राज्यों में एम्स की स्थापना और 25 करोड़ गरीबों को छह – छह हजार रूपये की मदद मिल सकती थी।

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