रतन सिंह
फीनिक्स यानी अग्नि पक्षी जिस तरह राख से जिंदा हो जाता है, उसी तरह भारत ने एमसीजी पर एडिलेड के दर्द को भुलाते हुए खुद को बुलंद किया, उससे जीत आसमान के क्षितिज पर उभर आई है। कप्तान रहाणे के अजेय शतकीय प्रहार ( 104 रन, 200 गेंद,12 चौके) और जडेजा ( नाबाद 40) के साथ उनकी छठे विकेट पर 104 रन की भागीदारी ने भारत को पांच। विकेट पर 277 तक पहुंचा दिया था। लीड 82 की हो चुकी है और अगर यह 150 तक पहुंची तो कंगारू अपनी खाल नहीं बचा पाएंगे। ऑस्ट्रेलिया इस हाल में नहीं होता, अगर आधे दर्जन कैच नहीं गिराए होते। यह विरल अवसर था जब कैच छोड़ने की होड़ सी थी।
भारत अगर इस हालत में है तो श्रेय दीजिये अजिंक्य को। उनकी श्रमसाध्य और प्रेरणास्पद पारी ने दल को दबाव के दलदल में नही जाने दिया। विहारी, पंत और जडेजा के साथ अर्धशतकीय भागीदारियों ने मेहमानों को अपर हैंड दिया है। चौके से शतक पूरा करने के बाद उन्होंने जिस शांत भाव से अभिवादन किया, उसने यह बताया कि वो आधी गागर नहीं हैं, जो हर वक़्त छलकते रहें। भावनाओं पर काबू रखने की सीख दी। 195 गेंदों में 11 को बाउंडरी के बाहर उन्होंने भेज। एक चीज़ अवश्य थी कि गेंदबाजों को स्विंग नहीं मिली जबकि आसमान में बादल भी थे। दूसरी पेन ने नई गेंद हैजलवुड को नही दी, क्योंकि वह स्विंग करने में ज्यादा समर्थ हैं। कुछ बात रविन्द्र जडेजा की हो। पहले यह खिलाड़ी अपने लापरवाह रवैये से अपने समर्थकों तक को चिढ़ा देता था, लेकिन हाल के वर्षों में उनकी बैटिंग ने हैरतभरा बदलाव किया है। विकेट की कीमत समझने लगे और दुनिया के सबसे बड़े हरफनमौला बन चुके हैं।
ये मुकाबला अब ऑस्ट्रेलिया के इम्तेहान का हो गया है। हालांकि दबाव उनके लिए इतना अनजाना नहीं है, जितना एक दशक पहले हुआ करता था। लेकिन उसे झेलने में उनके कस-बल ढीले होते रहे हैं। फिर परीक्षा की घड़ी है और उनका सबसे बड़ा खेवैया स्मिथ अपने फॉर्म और आत्मविश्वास को लेकर मझधार में डगमग है तो कोई भी लीड उनका एसिड टेस्ट है। रहाणे का दूसरी नई गेंद पर कैच छोड़ना सटीक उदाहरण है। उनके कंधे अभी से झुके हुए हैं। कोढ़ में खाज था देर शाम हेड का स्टार्क की गेंद पर हलुआ कैच गिराना। मुकाबला तीसरी पारी पर होगा। यानी मेजबानों की दूसरी पारी का प्रदर्शन पर दारोमदार होगा।
सुबह भारत को उम्मीद थी कि गिल और पुजारा की जोड़ी पहला घंटे महफूज़ रहकर गुजरेंगे। आधे घण्टे गुजर भी गए और गिल डेब्यू टेस्ट में अर्धशतक के करीब आ गए थे। फ्रंटफुट पर बेहतरीन दिखने वाले शुभमन की पारी तब खत्म हो गयी जब कमिन्स की पांचवे स्टंप की फुलर गेंद को ड्राइव करने का लोभ संवरण नहीं कर सके और पेन ने अचानक चौकन्ना होते हुए डाइव करते हुए कैच ने लिया। 61 रन की ये भागीदारी काम की होने वाली थी। भारत को तगड़ा झटका लगा जब पुजारा ( 17) को कमिन्स ने विकेट के पीछे कैच करा दिया। मैच फंस रहा था। विहारी (21) नज़रें जमाने के बाद लायन की ऑफ स्टंप की गेंद को स्वीप करने में कैच दे बैठे तो मुकाबला( 4-116) बराबरी पर था। यहां पंत ( 29) ने कप्तान के साथ 57 रन की भागीदारी से दल को लीड के और करीब पहुंचाया। पंत को स्टार्क ने चलता किया जब उनका स्लैश इनसाइड एज कीपर के पास चला गया। उधर कप्तान रन पर रन जोड़ते हुए अर्धशतक के पार पहुंचे और जडेजा ने छोर जाम किया तो भारत ने 195 को पार कर कंगारूओं को दबाव में ला दिया।