नई दिल्ली। न केवल बिहार के विधानसभा चुनाव बल्कि जिन-जिन राज्यों में उपचुनाव हुए हैं, वहां भी कांग्रेस के बद से बदतर प्रदर्शन ने एक बार फिर पार्टी नेतृत्व की क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिहार में 2015 में कांग्रेस 43 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमे 27 जीती थी। लेकिन 2020 के चुनाव में राहुल गांधी व उनके वार्ताकारों रणदीप सुरजेवाला, शक्ति सिंह गोहिल व अविनाश पांडे ने तेजस्वी यादव से कड़ी सौदेबाजी करके 70 सीटें हासिल कर ली थीं।
राहुल गांधी के जोरदार अभियान के बावजूद कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई और मात्र 19 सीटें ही जीत सकी। बिहार में चुनाव लडऩे वाले राजनीतिक दलों में कांग्रेस का यह प्रदर्शन सबसे बदतर है। कांग्रेस कार्यकताओं को इस बात ने निराश किया कि राहुल गांधी चुनाव प्रचार के बीच छुट्टी मनाने 1 नवम्बर को हिमाचल प्रदेश चले गए और फिर प्रचार के लिए प्रकट हो गए। उधर तेजस्वी ने कांग्रेस नेताओं को विनम्रता से बता दिया था कि वह राहुल गांधी के साथ चुनावी रैलियां करने के लिए समय नहीं दे सकेंगे क्योंकि वह अपनी पार्टी राजद की सीटों पर फोकस करना चाहते हैं।
कांग्रेस के एक बड़े वर्ग का मानना है कि पार्टी ने शरद यादव की पुत्री सुहासिनी यादव और शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र लव जैसों को टिकट देकर शुरू में ही 20 सीटें खराब कर दीं। इसके अलावा उम्मीदवारों के चयन घोटाले को लेकर सदानंद सिंह और अखिलेश सिंह को पार्टी से बाहर करने का मामला भी सामने आया था। सदानंद सिंह अपने राजनीतिक रूप से कच्चे बेटे को जितवाने की इच्छा रखते थे लेकिन वह कामयाब नहीं हुए।
अखिलेश सिंह पर्दे के पीछे से जोड़-तोड़ के लिए जाने जाते हैं लेकिन उनका कोई जनाधार नहीं है। इस घटना का भी पार्टी पर असर पड़ा। सबसे हैरानी वाली बात यह रही कि जब चुनाव प्रचार अपनी पराकाष्ठा पर पहुंचा तो बिहार के कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल रहस्यमय ढंग से किनारे कर दिए गए और अंतत: कोविड होने पर उन्होंने खुद को क्वारंंटाइन कर लिया।
हरियाणा, छत्तीसगढ़ व झारखंड को छोड़कर जहां भी उपचुनाव हुए, उन राज्यों में भी कमोबेश यही हालत रही। इन तीन राज्यों में उम्मीदवार चुनने व चुनाव प्रचार का जिम्मा स्थानीय नेतृत्व पर डाल दिया गया था।
कांग्रेस की स्टार प्रचारक अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुत्र पुत्री क्रमशः राहुल- प्रियंका को छोड कर क्या पार्टी मे और कोई ओजस्वी नेता नही बचा है क्या ? यह एक यक्ष प्रश्न है।
पिछले शनिवार प्रियंका गांधी वाड्रा अपने बच्चों के साथ मसूरी में छुट्टियां मना रही थीं और वहां से वह जैसलमेर जाने वाली थीं। राहुल गांधी भी जैसलमेर पहुंचने वाले थे लेकिन उन्होंने वहां जाने का कार्यक्रम रद कर दिया।