मंडुआडीह स्टेशन का नाम अब बनारस स्टेशन रखा जा रहा है
वाराणसी। पर्यावरण प्रदूषण के लिहाज से मंडुआडीह रेलवे स्टेशन काफी बेहतर है। यहां, एनजीटी के दिशा निर्देश का पूर्णतः पालन कराया जा रहा है। यहां एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) प्रथम श्रेणी का कद रखने वाले रेलवे स्टेशन से भी अच्छा है। यह बातें उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में सामने आई हैं।
गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में रेल मंत्रालय ने सभी प्रमुख स्टेशनों को पर्यावरण प्रमाणित कराने का फैसला किया था। जिसके तहत कुल 75 प्रमुख स्टेशनों पर सर्वे किया गया। जिसके ऑडिट के कार्य का जिम्मा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपा गया था। पिछले दिनों मंडुआडीह स्टेशन पर बोर्ड की टीम ने यहां चल रहे कार्यों में एनजीटी के गाइड लाइन और पर्यावरण प्रदूषण के मानकों का मूल्यांकन किया। यहां पर सीवर ड्रेनेज सिस्टम, वायु प्रदूषण रहित परिसर की दिशा में हुए कार्य और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जल संचयन की बारीकियां परखी। बताते चलें कि मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलकर अब बनारस करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
द्वितीय प्रवेश द्वार पर हरियाली
एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित मंडुआडीह स्टेशन पर द्वितीय प्रवेश द्वार लोगों के आकर्षण का केंद्र है। यहां सीमित स्थान पर बना तालाब, बागवानी, फूल और मनमोहक प्रजाति से सजे गमले नई ऊर्जा देते हैं। मंडुआडीह को प्रदूषण रहित स्टेशन बनाने की दिशा में चल रहे प्रयास में इनका भी काफी योगदान है।
पर्यावरण प्रमाणपत्र मिलेंगे
रेल मंत्रालय ने सभी प्रमुख स्टेशनों को पर्यावरण प्रमाणित कराने का फैसला किया है। सभी स्टेशनों का पर्यावरणीय आडिट कराने तथा आइएसओ-14001 प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए कहा गया है। मंडुआडीह स्टेशन सहित पर्यावरणीय मानकों को पूरा करने सहित अन्य स्टेशनों को भी पर्यावरण से संबंधित प्रमाणपत्र दिया जाएगा।
क्या बोले अधिकारी?
पीआरओ ने बताया कि मंडुआडीह रेलवे स्टेशन पर साफ सफाई का पूरा खयाल रखा जाता है। यहां एनजीटी के गाइड लाइन का पूर्णतया पालन कराया जाता है।