राजस्थान में गहलोत-पायलट के बीच सत्ता संघर्ष को लेकर मचे घमासान को देखते हुए नेताओं की दिल्ली के लिए दौड़ जारी है। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी इन दिनों राजधानी में डेरा जमाए बैठे हैं। उनका मकसद हाईकमान के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करने की है। फिलहाल प्रियंका गांधी के शिमला जाने के कारण शनिवार को पायलट की उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। इस बीच हाईकमान ने सुलह फार्मूले में पायलट को पार्टी महासचिव बनने का आफर दिया था, जिसे पायलट ने ठुकरा दिया है। दरअसल गहलोत सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत मिले हैं। ऐसे में अभी सीएम गहलोत के अलावा दस केबिनेट और 10 राज्य मंत्री हैं। मालूम हो कि गहलोत कुल 30 मंत्री बना सकते हैं।
इस स्थिति में राजस्थान में अभी 9 मंत्रियों को और जगह मिल सकती है। इन्हीं 9 पदों के लिए गहलोत और पायलट खेमा आमने सामने हैं। गहलोत सरकार के सामने परेशानी ये है कि वो अपने खेमें के विधायकों को पद दे, जो काफी समय से नजर गड़ाए बैठे हैं, या फिर पायलट खेमें को खुश करने के लिए उनके विधायकों को मंत्री बनाए।
गौरतलब है कि, कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब कांग्रेस आगे कोई बड़ा खतरा मोल नहीं लेना चाहती। शायद इस वजह से राजस्थान में लंबे समय से चल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच के विवाद को थामने की कोशिश में जुट गई है। इसी कड़ी में अब कांग्रेस ने नया दांव खेला है। मीडिया रिपोटर्स की मानें, तो कांग्रेस हाईकमान की ओर से पायलट को महासचिव पद का ऑफर दिया गया है। हालांकि, पायलट ने इसे अभी स्वीकार करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है।
इधर सियासी घमासान के बीच सचिन पायलट दिल्ली में हैं। बताया जा रहा है कि पायलट यहां प्रियंका गांधी से मुलाकात करने के लिए पहुंचे हैं। इस राजनीतिक मुलाकात में पायलट और प्रियंका गांधी के बीच कई मुद्दों को लेकर चर्चा होनी है, जिसमें पायलट की राजस्थान और केंद्रीय संगठन दोनों भूमिकाओं पर चर्चा हो सकती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सचिन पायलट तब तक कोई पद नहीं लेंगे जब तक विधायकों और समर्थकों को सरकार और पार्टी में शामिल नहीं कर लिया जाता है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर यह संदेश पार्टी को दे दिया है। जानकारों का कहना है कि जहां कांग्रेस सचिन पायलट को केंद्रीय संगठन की मजबूती कड़ी के तौर पर देख रही है, वहीं सचिन राजस्थान में रहकर बिना किसी पद के काम करना चाहते हैं । वे प्रदेश के बाहर जाने के लिए किसी सूरत में तैयार नहीं है।
सचिन पायलट के दिल्ली पहुंचने के साथ ही प्रदेश की सियासत भी तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि पायलट खेमे के नाराजगी सामने आने के बाद अब गहलोत सरकार मंत्रिमण्डल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर एक्टिव हो गई है। गहलोत ने कई विधायकों से मुलाकात करके इसके संकेत भी दे दिए हैं। वहीं आलाकमान की ओर से भी प्रदेश के क्राइेसस को खत्म किया जाए।