रांची । युगांतर भारती, नेचर फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित इको सेंट्रिक डेवलपमेंट (पर्यावरण केंद्रित विकास) पर आयोजि त एक दिवसीय गोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रख्यात विचारक श्री के एन गोविंदाचार्य ने कहा कि पिछले कई महीनों से ऑस्ट्रेलिया में लगी आग के कारण कई करोड़ पशु पक्षी मारे गए है, समुंद्र का जल स्तर बढ़ रहा है। विकास के नाम पर भारत 90000 गाव को शहरों में लीन करा लिया गया है। आज असमय वर्षा के कारण कृषि पंचाग अस्तव्यस्त हो गया है।
श्री गोविंदाचार्य ने कहा कि पिछले 5000 वर्षों में जितना बदलाव प्रकृति में आया है उतना बदलाव पिछले 500 वर्ष में आया है और उतना ही बदलाव पिछले 50 वर्षों में आया है।
टेक्नोलॉजी ड्रिवन सोसायटी से फॉसिल ऑयल का उपयोग बढ़ गया है और नड गोवंश बेकार हो गया है। समाज में तनाव बढ़ने का मुख्य कारण सुख की कल्पना सुविधा से करने से हो रही है। श्री गोविंदाचार्य ने कहा कि 50 वर्ष पूर्व विश्व की 70% सम्पत्ति 30% जनसंख्या के पास थी। आज 80% सम्पत्ति 20% जनसंख्या के पास है। भारत में 57% संपदा मात्र 1% आबादी के पास है।
श्री गोविंदाचार्य ने आश्चर्य व्यक्त किया गूगल का भारत में हर वर्ष का कुल कारोबार होता है 4 लाख 29 हज़ार करोड़ पर वो टैक्स देता है सिर्फ 7000 करोड़ पर। आज साइबर वार कि वजह से कई देश की संप्रभुता खतरे में है। श्री गोविंदाचार्य ने कहा कि एफडीआई आने पर भी अर्थव्यवस्था के हालात ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि 500 वर्ष पहले कहा जाता था कि मनुष्य सबसे पराक्रमी है। पिछले 50 वर्ष में भारत की 60% जैव विविधता का नुक़सान हुआ है। आज पर्यावरण केंद्रित विकास के लिए राजनैतिक परिवर्तन की जरुरत है।