• खतरा बिंदु पार कर गंगा 72 मीटर के ऊपर, बढ़ाव अब भी जारी

वाराणसी। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। इसके बाद भी रफ्तार थमी नहीं है। प्रति घंटे एक सेमी बढ़ाव जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र की जनता की परेशानियों पर नजर बनाये हुए हैं। उनकी मदद व राहत की जानकारी के लिए वाराणसी प्रशासन के साथ बातचीत की। प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली सूचना के अनुसार, उन्होंने पूरी स्थिति का जायजा लिया और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को काशी दौरे पर होंगे। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे।

काशी में गंगा अपने विकराल स्वरूप की ओर बढ़ चली हैं। गंगा में उफान के कारण तटवर्ती इलाके जलमग्न हो गए हैं वही वरुड़ा के किनारे के इलाके भी डूब गए हैं। गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार 11 अगस्त को सुबह 7:00 बजे तक वाराणसी में गंगा का जलस्तर 72.01 मीटर पर था। इसमें 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ोतरी हो रही है। साल 2019 में गंगा का जलस्तर 71.95 मीटर तक रिकॉर्ड किया गया था। गंगा इसी रफ्तार से बढ़ती रहीं तो कई कालोनियां डूबेगी।

गंगा के किनारे रहने वाले लोगों को प्रशासन सतर्क कर रहा है। शिविरों में राहत कार्य पर जारी है। एनडीआरएफ व स्थानीय गोताखोरों की टीमें घाटों पर तैनात हैं। जिले में स्थापित बाढ़ चौकियों को अलर्ट पर रखा गया है। जिलाधिकारी ने सभी सम्बंधित अधिकारियों की छुट्टी निरस्त करते हुए बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने का कार्य शुरू किये जाने के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं।शहर के कोनिया, सरैया, सामनेघाट, तुलसी घाट, अस्सी-नगवा मार्ग, दशाश्वमेध घाट, प्रह्लाद घाट, मणिकर्णिका घाट आदि क्षेत्रों में पानी पूरी तरह से घाटों को अपने आगोश में लेकर शहरी इलाकों में बढ़ चुका है। वरुणा से जुड़े नाले ओवरफ्लो कर रहे हैं। 

वाराणसी जि‍ला प्रशासन के अनुसार वाराणसी में बाढ़ राहत के लि‍ये 21 चौकि‍यां बनायी गयी हैं। इन शिविरों में कुल 2848 लोगों को रखा गया है। प्रशासन के अनुसार वारणसी में कुल 58 बाढ़ प्रभावित गांव, मोहल्ला व वार्ड हैं। उन्‍होंने बताया कि‍ वाराणसी में बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या 30921 हैं। किन्तु बाढ़ राहत केंद्र/आश्रय स्थलोँ पर अभी 2848 बाढ़ पीड़ित विस्थापित हैं। इसके अलावा बाढ़ राहत क्षेत्रों में रह रहे लोगों को सुरक्षित राहत शिविरों में पहुंचाने तथा बाढ़ पीड़ितों की सहायता व बाढ़ क्षेत्र में निगरानी करने के लिए कुल 85 नावों को संचालित किया जा रहा है।

उधर राहत शिविरों की बात करें तो यहां शरण लिए लोगों का कहना है कि राहत के उपाय नाकाफी हैं समय से राशन और भोजन नहीं मिल पा रहा है। सफाई व्यवस्था भी समुचित नहीं है। बारिश बाढ़ के दर्द को और बढ़ा रही है।

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