पंकज त्रिपाठी की कॉमेडी फिल्म ’कागज’ डिजिटल प्लेटफार्म ’जी 5’ पर रिलीज हुई थी। यह आजमगढ़ के उस लाल बिहारी की रियल लाइफ स्टोरी पर बेस्ड है जिसे रेवेन्यू रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया और वह खुद को जिंदा साबित करने के लिए 18 साल तक संघर्ष करता रहा। सलमान खान द्वारा निर्मित इस फिल्म को सतीश कौशिक ने निर्देशित किया था।

पंकज त्रिपाठी ने अनुराग बसु की ’लूडो’ में अपने शानदार अभिनय से दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। इसमें पंकज के साथ मीता वशिष्ठ, अमर उपाध्याय और समीश कौशिक भी अहम किरदारों में नजर आए थे।

इन दिनों पंकज त्रिपाठी, अक्षय कुमार के साथ ’बच्चन पांडे’ के लिए स्क्रीन शेयर कर रहे हैं। इसके अलावा उनके द्वारा अभिनीत रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण स्टारर ’फिल्म 83’ भी काफी वक्त से रिलीज की वाट जोह रही है।

पंकज त्रिपाठी 2004 में मुंबई आये थे। उन्होंने छोटे छोटे किरदार से करियर की शुरुआत करने के बाद ’गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ’न्यूटन’ जैसी फिल्मों के अपने किरदारों के जरिए दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। इस बीच उन्होंने शानदार अभिनय के लिए नेशनल अवॉर्ड भी जीत लिया।

संघर्ष के दिनों में पंकज की बीवी को मुंबई के एक स्कूल में टीचर की नौकरी कर घर खर्च चलाना पड़ा था लेकिन अब वो पंकज का काम देखती हैं। उन्हें पंकज की सेक्रेटरी कहा जा सकता है।

पिछले साल कोरोना लॉकडाउन लगने के पहले रिलीज हुई ’अंग्रेजी मीडियम’ में पंकज त्रिपाठी, इरफान के साथ नजर आए थे। जिस वक्त पंकज त्रिपाठी एन.एस.डी. में एक्टिंग के गुर सीख रहे थे उस वक्त इरफान ने उन्हें सबसे अधिक प्रेरित किया।

पंकज त्रिपाठी ने अब तक सपोर्टिंग किरदार ज्यादा किए हैं लेकिन अब वे काफी डायरेक्टर्स की मनपसंद एक्टर वाली लिस्ट में शामिल हो चुके हैं और उनमें से कुछ पंकज को लीड रोल में लेकर फिल्में बनाना चाहते हैं।

पंकज त्रिपाठी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह एकदम नेचुरल एक्टर हैं। उन्हें बिना ऊब के कई घंटों तक देखा जा सकता है। उनकी दूसरी खूबी कि वे किसी छोटे शहर के चौराहे पर ख़डे सहज हाव भाव और साधारण बोलचाल वाली भाषा के आम शख्स की तरह नजर आते हैं। उन्हें देखने के बाद लगता है कि यह शख्स शायद पड़ोस में ही कहीं रहता है। इन खूबियों की बदौलत ही वह ऐसे एक्टर बन सके जिसने बहुत कम समय में सभी का दिल जीत लिया।

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