अफगानिस्तान में तालिबान का राज लाने के पीछे सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले पाकिस्तान अब खुद अपने ही बुने जाल में फंसता नजर आ रहा है। तालिबान जहां एक तरफ अफगानिस्तान में सरकार गठन की तैयारियों में जुटा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी अधिकारियों को अब पड़ोसी देश की वजह से सुरक्षा खतरे का डर है। पाकिस्तान को यह डर मारे जा रहा है कि तालिबान के आने से अफगानिस्तान के साथ सटती उसकी सीमा पर कहीं आतंकी हमले न बढ़ जाए। इसकी वजह से बीते कई हफ्तों से सीमा पर पाकिस्तानी सेना भी हाई अलर्ट पर है।

इस्लामाबाद को खासतौर पर पाकिस्तानी तालिबान के उस समूह से खतरा महसूस हो रहा है जो अफगानिस्तान की सीमा पार कर उसके क्षेत्र में भीषण हमलों को अंजाम देता आया है। बीते दो दशक में हजारों पाकिस्तानी जिहादी हिंसा में मारे जा चुके हैं।

अफगानिस्तान में ही सुरक्षा की स्थिति इतनी कमजोर है कि बीते कुछ दिन पहले ही आतंकी संगठन आईसआईएस-खुरासान ने काबुल एयरपोर्ट के बाहर आत्मघाती हमला कराया, जिसमें 13 अमेरिकी सैनिकों सहित 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।

पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अगले दो से तीन महीने काफी अहम हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस्लामाबाद को डर है कि अफगानिस्तान में तालिबानी राज आने के बाद अफगान-पाकिस्तान बॉर्डर पर आतंकी हमले बढ़ेंगे। अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों के फिर से सिर उठाने के खतरों पर बात करते हुए अधिकारी ने कहा, ‘हमें (अंतरराष्ट्रीय समुदाय) को सेना बनाने में तालिबान की मदद करनी चाहिए ताकि वे अपने क्षेत्र को नियंत्रित कर सकें।’

बता दें कि अमेरिकी अधिकारी लगातार पाकिस्तान पर अफगानिस्तान में तालिबान को समर्थन करने का आरोप लगाते रहे हैं। हालांकि, इस्लामाबाद इन आरोपों को खारिज करता रहा है।

पाकिस्तान के सुरक्षा से जुड़े फैसलों की जानकारी रखने वाले वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी बताया कि इस्लामाबाद जल्द ही अपने सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों को अफगानिस्तान भेजने की तैयारी कर रहा है। यहां तक कि वह अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई के मुखिया को भी काबुल भेजेगा ताकि तालिबान को अफगान सेना का पुनर्गठन करने में मदद कर सके। हालांकि, अफगान तालिबान प्रवक्ता ने इसको लेकर कोई टिप्पणी नहीं दी है।

अफगान तालिबान यह साफ कर चुका है कि वह अपनी धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान या किसी भी अन्य देश पर आतंकी हमले करने के लिए नहीं होने देगा। दूसरी तरफ इस्लामाबाद को यह उम्मीद है कि अफगानिस्तान उन आतंकियों को उसे सौंपेगा जो पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी हमले की साजिश कर रहे हैं।

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