अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को अपने लिए मौके पर तौर पर देख रहे पाकिस्तान को तालिबान ने करारा झटका दिया है. तालिबान ने दो टूक शब्दों में कहा है कि पाकिस्तान उसे निर्देश देने की कोशिश न करे. संगठन के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि अफगानिस्तान में बातचीत के जरिए समझौता करने में मदद के लिए पाकिस्तान का स्वागत किया जाएगा, लेकिन इस्लामाबाद हमें निर्देश या फिर हम पर अपने विचार नहीं थोप सकता.
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, ये पूछे जाने पर कि वह पाकिस्तान के साथ अफगान तालिबान के संबंधों को कैसे देखते हैं? तालिबानी प्रवक्ता ने कहा, ‘हम भाईचारे वाले संबंध चाहते हैं. पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है, एक मुस्लिम देश हैं और हमारे साझा मूल्य हैं, जिसमें ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दे शामिल हैं, लेकिन वो हम पर अपने विचार नहीं थोप सकता. हम अपने हिसाब से अपनी रणनीति तैयार करेंगे’.
सुहैल शाहीन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान शांति प्रक्रिया में हमारी मदद कर सकता है, मगर हम पर हुक्म नहीं चला सकता और न ही अपने विचार थोप सकता है. ये पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के खिलाफ है. ये पूछे जाने पर कि क्या तालिबान प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को स्वीकार करेगा, क्योंकि उसने तालिबान के प्रति अपनी निष्ठा दिखाई है. इस पर शाहीन ने कहा, ‘मुझे TTP के बारे में नहीं मालूम, मगर मैं आपको इस्लामिक देश की नीति के बारे में बताऊंगा. हम दूसरे व्यक्ति और न ही किसी समूह को अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करने देंगे’.
वहीं, तालिबान के बुलंद होते हौसलों से अफगानिस्तान के लोगों में खौफ व्याप्त है. उन्हें लगने लगा है कि मुल्क फिर से पुरानी स्थिति में जा रहा है, जहां किसी को भी अपने हिसाब से जीने की इजाजत नहीं थी. बता दें कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से ही तालिबान तेजी से देश के बड़े हिस्से पर कब्जा जमाने में जुट गया है. तालिबान ने दावा किया है कि इसने अफगानिस्तान के अधिकांश प्रमुख इलाकों पर कब्जा जमा लिया है.