राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को रिम्स के वार्ड से निदेशक बंगला और बंगला से वापस पेइंग वार्ड शिफ्ट करने पर झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने सरकार को यह बताने को कहा है कि लालू प्रसाद को पेइंग वार्ड से निदेशक बंगले में शिफ्ट करने का निर्णय किसका था। फिर बंगले से पेइंग वार्ड में उन्हें किसके आदेश से शिफ्ट किया गया। 

अदालत ने लालू प्रसाद को मिलने वाले सेवादार की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी जानकारी मांगी है और यह बताने को कहा है कि सेवादार नियुक्त करने के लिए क्या प्रावधान है और कैसे उसका चयन किया जाता है। सरकार को 18 दिसंबर तक पूरी रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश कोर्ट  ने दिया है। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में रिम्स से लालू प्रसाद की मेडिकल रिपोर्ट और जेल प्रशासन से लालू प्रसाद से पिछले तीन माह में मिलने वाले लोगों की सूची देने को कहा था। जेल प्रशासन को यह बताने को कहा गया था कि जो लोग भी लालू प्रसाद से मिलने में जेल मैनुअल का पालन किया गया है या नहीं। जेल प्रशासन की ओर से समय पर जानकारी नहीं दिए जाने पर हाईकोर्ट ने कारा महानिरीक्षक और बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अधीक्षक को शो कॉज किया था। इसके बाद दोनों ने बिना शर्त माफी मांगी थी और मुलकातियों की सूची और अपना जवाब दाखिल किया था। 

शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि  कैदियों से मिलने वालों के लिए एसओपी बनायी गयी है। इसके तहत सुरक्षा और कैदियों से मिलने की प्रक्रिया तय की गयी है। इस पर कोर्ट ने एसओपी की विस्तृत जानकारी भी 18 दिसंबर को पेश करने का निर्देश दिया।

11 दिसंबर को है जमानत पर फैसला : 

लालू प्रसाद की जमानत पर फैसला 11 दिसंबर को होगा। बता दें कि उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान लालू के जेल में सजा की आधी अवधि को लेकर सीबीआई और लालू प्रसाद की ओर से अलग-अलग दावे किए गए थे । सीबीआई का कहना था कि लालू प्रसाद ने जेल में सिर्फ 34 माह ही बिताए हैं, जबकि लालू प्रसाद की ओर से दावा किया गया कि वे 42 माह 28 दिन की सजा काट चुके हैं। दोनों के अलग-अलग दावे के बाद लालू प्रसाद की ओर से पक्ष रख रहे वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बीतें दिनों अदालत में सजा की आधी अवधि को सत्यापित करने का प्रस्ताव देते हुए सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया था। इस आग्रह को स्वीकार करते हुए जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने सजा की अवधि को सत्यापित कर 11 दिसंबर को लालू प्रसाद को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी।

सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद की ओर से कहा गया कि उन्हें सात साल की सजा सुनाई गई है। इस मामले में लालू प्रसाद ने पटना के जेल में भी कुछ दिन बिताए थे। अभी तक उन्होंने 42 माह से अधिक की अवधि जेल में पूरी कर ली है, जिस कारण उन्हें जमानत का लाभ मिलना चाहिए, लेकिन सीबीआई लगातार इसका विरोध करती रही। सीबीआई का दावा था कि लालू प्रसाद की ओर से जो दावा किया जा रहा है उसमें त्रुटि है। बता दें कि लालू प्रसाद को चारा घोटाले के चार मामलों में सजा मिली हुई है। तीन मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है। दुमका कोषागार के मामले में जमानत मिलते ही वे जेल से बाहर निकल जाएंगे।

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