कोरोना महामारी के कारण परंपरा निर्वहन के लिए 11 यादवबंधुओं को ही अनुमति

वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के पहले सोमवार को दशकों से चली आ रही यादवबंधुओं की ओर से जलाभिषेक का क्रम महामारी में भी नहीं टूटेगा। हालांकि इसे सीमित किया गया है। बीते दिनों एडीसीपी काशी जोन विकासचंद्र त्रिपाठी के साथ चंद्रवंशी गोप सेवा समिति की बैठक में 11 यादव बंधुओं की ओर से ही जलाभिषेक पर फैसला हुआ। पहले सोमवार को कोरोना महामारी के लिए जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए यादवबंधु परंपरा का निर्वहन करेंगे।

समिति के अध्यक्ष लालजी यादव ने बताया कि विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए 11 सदस्यों की टोली केदारघाट से सोमवार प्रात: सात बजे गंगाजल लेकर प्रस्थान करेगी। सदस्य गौरी केदारेश्वर, तिलभांडेश्वर, आदि शीतला दशाश्वमेध, आह्लादेश्वर महादेव मान मंदिर, काशी विश्वनाथ, महामृत्युंजय महादेव दारानगर, त्रिलोचनेश्वर गायघाट, ओंकारेश्वर अंबियामंडी एवं लाट भैरव का जलाभिषेक करेंगे। बताया कि सन 1932 में घोर अकाल के दौरान पक्के महाल में शीतला गली निवासी भोला सरदार और चुन्नी सरदार ने 50 यदुवंशियों के साथ बाबा का जलाभिषेक कर वर्षा की प्रार्थना की थी। उसके बाद तीन दिनों तक घोर वर्षा हुई। तब से प्रतिवर्ष जलाभिषेक की परंपरा चल पड़ी। 89 वर्षों से हजारों यादव बंधु इस यात्रा में शामिल होते रहे हैं। पिछले दो साल से कोरोना के कारण प्रतीक यात्रा निकाली जा रही है।

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