चमोली । उत्तराखंड में रविवार को काल बनी धौली गंगा नदी का गंगा से गहरा नाता है। उत्तराखंड में वसुधारा ताल से निकली इस नदी का गंगा के प्रवाह में बड़ा योगदान है। यही वजह है कि जब नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर अचानक धौली गंगा में गिरा तो इसका असर गंगा नदी में भी दिखा।
रैणी: धौली गंगा और ऋषि गंगा का मिलन
नंदादेवी नेशनल पार्क से गुजरने वाली धौली गंगा रैणी में ऋषि गंगा को खुद में समाहित करती है। वही रैणी जहां की पूरी पनबिजली परियोजना रविवार को बह गई। रैणी से दोनों नदी की संयुक्त धारा ‘वी’ टर्न लेती है और धौली गंगा के नाम से 30 किलोमीटर तक उत्तर की ओर बहती है।
विष्णु प्रयाग: धौली गंगा और अलकनंदा का मिलन
धौली गंगा तपोवन से गुजरते हुए जोशीमठ के निकट विष्णुप्रयाग में अलकनंदा में विलीन हो जाती है। इसके बाद दोनों की संयुक्त धारा अलकनंदा के रूप में दक्षिण-पश्चिम में बहते हुए चमोली, मैथाणा, नंदप्रयाग और कर्णप्रयाग से गुजरती है।
रुद्रप्रयाग: अलकनंदा और मंदाकिनी का मेल
अलकनंदा रुद्रप्रयाग में उत्तर से आ रही मंदाकिनी में मिल जाती है। मंदाकिनी को खुद में समेटने के बाद संयुक्त धारा अलकनंदा के रूप में आगे बढ़ती है।
देवप्रयाग: अलकनंदा और भागीरथी का मेल
अलकनंदा केदारनाथ के पास देवप्रयाग में भागीरथी से मिलती है। यहां से दोनों नदियों की संयुक्त धारा गंगा नदी के नाम से आगे बढ़ती है।
धौली गंगा पर भी बांध
अन्य हिमालयी नदियों की तरह धौली गंगा पर भी बांध बने हुए हैं। इस नदी पर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 280मेगावाट की पनबिजली परियोजना लगी हुई है।