बीजिंग (एजेंसी)। एलएसी पर चीनी सैनिकों की ताजा हिमाकत के बाद भले ही चीन भारत पर तोहमत लगा रहा हो लेकिन आने वाले कड़ाके की ठंड के मौसम को लेकर उसके तेवर ढीले पड़ने लगे हैं। चार माह से चल रहे विवाद में पहली बार चीन ने माना कि यह इलाका सैनिकों की तैनाती के लिए कतई उपयुक्त नहीं है। शायद यही वजह है कि उसने विवाद को जल्द से जल्द बातचीत के जरिए खत्म करने की उम्मीद जाहिर की। ज्ञात हो कि भारतीय सेना ने वहां 35,000 सैनिकों को तैनात किया है, जो पहले से ही उच्च ऊंचाई और ठंड की स्थिति में काम कर चुके हैं। वहां तैनात भारतीय सैनिकों को मौसम और इलाके से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने एलएसी के ताजा हालात पर मीडिया को जानकारी देने के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि आपकी शुभकामनाओं के हम कायल है। हम सभी को उम्मीद है कि जल्द ही हमारी सेनाएं सीमा से लौट आएंगी और एलएसी पर कोई तनाव नहीं रहेगा। प्रवक्ता ने कहा कि आप सब जानते हैं कि एलएसी पर चार हजार मीटर की ऊंचाई पर प्राकृतिक रूप से हालात बहुत कठिन हैं। सर्दियों में वह जगह आदमियों के रहने लायक नहीं है। ऐसे में हमें उम्मीद है कि कूटनीतिक व सैन्य चैनलों और जमीनी स्तर पर वार्ताओं के जरिए हम लोग इस विवाद का जल्द से जल्द हल निकाल लेंगे। उल्लेखनीय है भारत और चीन की सेनाएं एलएसी पर जहां एक-दूसरे के सामने हैं, वहां सर्दियों में तापमान शून्य से चीन डिग्री नीचे तक पहुंच जाता है। ऐसे में दोनों देशों के हजारों सैनिकों के लिए हालात बहुत कठिन साबित हो सकते हैं। 

भारतीय सैनिकों के विपरीत चीनी सैनिक ठंड के आदी नहीं  

भारतीय सैनिकों के विपरीत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात चीनी सैनिकों का उपयोग इन स्थितियों के लिए नहीं किया जाता है क्योंकि उन्हें मुख्य भूमि चीन से लाया गया है और वे अत्यधिक ऊंचाई वाले ठंडे मौसम की स्थिति के आदी नहीं होते हैं। सेना के सूत्रों ने बताया कि हम पूर्वी लद्दाख सेक्टर में तैनात किए गए लगभग 35,000 सैनिकों के लिए अत्यधिक ठंडे मौसम वाले पोर्टेबल केबिन उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहे हैं। वहां तैनात हमारे सैनिक इससे पहले सियाचिन, पूर्वी लद्दाख या पूर्वोत्तर में पहले ही एक या दो कार्यकाल में काम कर चुके हैं और वे वहां लंबी तैनाती के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हैं। 

खून जमा देने वाली हवा है बड़ी चुनौती

लद्दाख में एलएसी से सटे ज्यादातर क्षेत्रों में सर्दियों में तापमान -25 से -40 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। कुछ स्थानों पर यह -50 डिग्री तक पहुंच जाता है। भारी बर्फ के बीच आगे बढ़ना नामुमकिन रहता है। इसके अलावा 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से नियमित बर्फीली हवाएं चलती रहती हैं। वहीं, बर्फीले तूफान आफत और बढ़ा देते हैं।