संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर एक राष्ट्र एक चुनाव पर जोर दिया है। साथ ही उन्‍होंने कहा कि समय के साथ जो कानून अपना महत्व खो चुके हैं, उनको हटाने की प्रक्रिया भी आसान होनी चाहिए। बीते सालों में ऐसे सैकड़ों कानून हटाए जा चुके हैं। क्या हम ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकते जिससे पुराने कानूनों में संशोधन की तरह, पुराने कानूनों को रिपील करने की प्रक्रिया स्वत: चलती रहे।

प्रधानमंत्री गुरुवार को यहां केवडिया में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सम्मेलन के समापन असवर पर कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन सिर्फ विचार-विमर्श का विषय नहीं है, बल्कि यह देश की जरूरत है। अलग-अलग समय पर होने वाले चुनाव विकास कार्यों में बाधा डालते हैं। हमें इसके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।

प्रस्तुत है पीएम मोदी के उद्बोधन के प्रमुख अंश :

हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके। हम भारत के लोगों ने ये संविधान खुद को दिया है। इसलिए इसके तहत लिए गए हर फैसले, हर कानून से सामान्य नागरिक सीधा कनेक्ट महसूस करे, ये सुनिश्चित करना होगा।

हमारे यहां बड़ी समस्या ये भी रही है कि संवैधानिक और कानूनी भाषा, उस व्यक्ति को समझने में मुश्किल होती है जिसके लिए वो कानून बना है। मुश्किल शब्द, लंबी-लंबी लाइनें, बड़े-बड़े पैराग्राफ, क्लॉज-सब क्लॉज, यानि जाने-अनजाने एक मुश्किल जाल बन जाता।

अब हमारा प्रयास ये होना चाहिए कि संविधान के प्रति सामान्य नागरिक की समझ और ज्यादा व्यापक हो। आजकल आप लोग सुनते हैं KYC.. Know Your Customer डिजिटल सुरक्षा का अहम पहलू है। उसी तरह KYC यानि Know Your Constitution हमारे संवैधानिक सुरक्षा कवच को भी मज़बूत कर सकता है।

हर नागरिक का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़े, ये संविधान की भी अपेक्षा है और हमारा भी ये निरंतर प्रयास है। ये तभी संभव है जब हम सभी अपने कर्तव्यों को, अपने अधिकारों का स्रोत मानेंगे, अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे।

केवड़िया प्रवास के दौरान आप सभी ने सरदार सरोवर डैम की विशालता देखी है, भव्यता देखी है, उसकी शक्ति देखी है। लेकिन इस डैम का काम बरसों तक अटका रहा, फंसा रहा। आज इस डैम का लाभ गुजरात के साथ ही मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के लोगों को मिल रहा है।

ये सब बरसों पहले भी हो सकता था। लेकिन बरसों तक जनता इनसे वंचित रही। जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्हें कोई पश्चाताप भी नहीं है। इतना बड़ा राष्ट्रीय नकसान हआ, लेकिन जो इसके जिम्मेदार थे, उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। हमें देश को इस प्रवृत्ति से बाहर निकालना है।

इस बांध से गुजरात की 18 लाख हेक्टेयर जमीन को, राजस्थान की 2.5 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित हुई है। गुजरात के 9 हजार से ज्यादा गांव, राजस्थान और गुजरात के अनेकों छोटे-बड़े शहरों को घरेलू पीने के पानी की सप्लाई इसी सरदार सरोवर बांध की वजह से हो पा रही है।

कोरोना के इसी समय में हमारी चुनाव प्रणाली की मजबूती भी दुनिया ने देखी है। इतने बड़े स्तर पर चुनाव होना, समय पर परिणाम आना, सुचारु रूप से नई सरकार का बनना, ये इतना भी आसान नहीं है। हमें हमारे संविधान से जो ताकत मिली है, वो ऐसे हर मुश्किल कार्यों को आसान बनाती है।

इस दौरान संसद के दोनों सदनों में तय समय से ज्यादा काम हुआ है। सांसदों ने अपने वेतन में भी कटौती करके अपनी प्रतिबद्धता जताई है। अनेक राज्यों के विधायकों ने भी अपने वेतन का कुछ अंश देकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना सहयोग दिया है।

भारत की 130 करोड़ से ज्यादा जनता ने जिस परिपक्वता का परिचय दिया है, उसकी एक बड़ी वजह, सभी भारतीयों का संविधान के तीनों अंगों पर पूर्ण विश्वास है। इस विश्वास को बढ़ाने के लिए निरंतर काम भी हुआ है।

इमरजेंसी के उस दौर के बाद Checks and Balances का सिस्टम मज़बूत से मज़बूत होता गया। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों ही उस कालखंड से बहुत कुछ सीखकर आगे बढ़े।

संविधान के तीनों अंगों की भूमिका से लेकर मर्यादा तक सबकुछ संविधान में ही वर्णित है।70 के दशक में हमने देखा था कि कैसे separation of power की मर्यादा को भंग करने की कोशिश हई थी, लेकिन इसका जवाब भी देश को संविधान से ही मि> वन नेशन, वन इलेक्शन’ केवल विचार-विमर्श का मुद्दा नहीं है, बल्कि देश की जरूरत भी है। यह विकासात्मक कार्य को बाधित करता है और आप सभी इसके बारे में जानते हैं। हमें इसके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए और कार्यालय-धारक इस पर विचार-विमर्श कर सकते हैं। लोकसभा, विधानसभा और अन्य चुनावों के लिए केवल एक मतदाता सूची का उपयोग किया जाना चाहिए। हम इन सूचियों पर समय और पैसा क्यों बर्बाद कर रहे हैं? पूर्ण डिजिटलीकरण का समय यहां है। आम आदमी के पास हर सदन के कामकाज का डाटा होना चाहिए और देश के हर सदन के पास भी ऐसा डाटा होना चाहिए।

26 /11 के मुम्बई आतंकी हमले में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि

आज की तारीख, देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले के साथ जुड़ी हुई है। 2008 में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई पर धाबा बोल दिया था। इस हमले में अनेक भारतीयों की मृत्यु हुई थी। कई और देशों के लोग मारे गए थे। मैं मुंबई हमले में मारे गए सभी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

आज मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को एक छोटे से क्षेत्र में समेट देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का भी मैं वंदन करता हूं।

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पुलिस बल के जांबाज शहीदों को नमन

इस हमले में हमारे पुलिस बल के कई जाबांज भी शहीद हुए थे। मैं उन्हें नमन करता हूं। आज का भारत नई नीति-नई रीति के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है।

आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का है। ऐसे अनेक प्रतिनिधियों ने भारत के नवनिर्माण का मार्ग तय किया था। देश उन प्रयासों को याद रखे, इसी उद्देश्य से 5 साल पहले 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया था। |

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