अब शायद यही देखना बाकी रह गया था! धरती तो हम इंसानों ने प्रदूषित कर ही दी है। अब नए शोध में पता चला है कि हमने आसमान को भी नहीं बख्शा है। प्लास्टिक हमारे जीवन में हर जगह घर कर चुकी है। यहां तक कि हमारे शरीर के भीतर तक इसने जगह बना ली है। धरती का शायद ही कोई ऐसा कोना बचा होगा, जो प्लास्टिक से प्रदूषित न हुआ हो। यहां तक कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट भी।
हम जो खाना खाते हैं। पशु-पक्षी, समुद्र, धरती, हर जगह प्लास्टिक है। अब वैज्ञानिकों ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया है। आसमान से बरसने वाला पानी भी अब प्लास्टिक से प्रदूषित हो चुका है। जी हां! आसमान से पानी के साथ-साथ प्लास्टिक भी बरस रहा है। यह शोध जर्नल साइंस नाम की मैगजीन में प्रकाशित हुआ है। इस अमेरिकी स्टडी के लिए जो सैंपल इकट्ठे किए गए, उनमें से 98 फीसदी बारिश और हवा के सैंपल में प्लास्टिक के कण पाए गए।
हर साल बरस रहा इतना प्लास्टिक
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने 14 महीने तक पूरे देशभर से सैंपल जुटाए। इसमें से अधिकतर सैंपल प्रदूषित पाए गए। डेली मेल की खबर के अनुसार यह एक बहुत ही ज्यादा चिंता की बात है। शोध के मुताबिक हर साल 1000 टन प्लास्टिक के कण बारिश के साथ धरती पर गिर रहे हैं। आसान भाषा में समझें तो मतलब हर साल 1.20 करोड़ प्लास्टिक की बोतलें आसमान से गिर रही हैं। इससे भी ज्यादा डर की बात यह है कि जितने क्षेत्र से सैंपल लिए गए हैं, वो पूरे देश का छह फीसदी भी नहीं है।
इस तरह आसमान में पहुंच रहा माइक्रोप्लास्टिक
धरती पर मौजूद माइक्रोप्लास्टिक भाप के साथ बादल बन रहा है और बारिश के रूप में पूरी धरती पर फैल रहा है। ये सूक्ष्म कण इतने छोटे होते हैं कि उन्हें आंखों से देखना मुमकिन नहीं है। जमीन से उठी धूलभरी आंधी या हवा के जरिए यह वातावरण में पहुंच जाते हैं। कुछ तो वापस नीचे बैठ जाते हैं, लेकिन कुछ बादलों में शामिल हो जाते हैं।
‘Acid Rain’ की याद दिलाई
प्लास्टिक की बारिश ने ‘एसिड रेन’ की याद दिला दी है। कुछ दशक पहले नॉर्थ अमेरिका और यूरोप में एसिड की बारिश हुई थी। यह बारिश पावर स्टेशन से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन की वजह से हुई थी।