पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में आज से स्कूल खुल गए। पंजाब में सभी सरकारी-गैर सरकारी स्कल खोले गए हैं। शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला ने बताया कि स्कूल में सिर्फ उन्हीं शिक्षकों व स्टाफ को प्रवेश मिलेगा जिन्होंने टीके की दोनों खुराकें ली हैं। साथ ही बिना अभिभावकों की लिखित सहमति के विद्यार्थियों को स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

वहीं, उत्तराखंड में नौंवी से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूल खुले। शिक्षा सचिव ने निर्देश दिए हैं कि बोर्डिंग एवं डे-बोर्डिंग स्कूलों में आवासीय परिसर में निवास करने वाले छात्र-छात्राओं एवं स्कूल स्टाफ को अधिकतम 48 घंटे पहले की आरटीपीसीआर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी जरूरी होगी। इसके बाद ही उन्हें स्कूल में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। हिमाचल प्रदेश में भी सोमवार से 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों की ही नियमित कक्षाएं लगेंगी। पांचवीं से आठवीं कक्षा के बच्चे शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए स्कूल आ सकेंगे।

जम्मू-कश्मीर : विद्यार्थियों के लिए अभी बंद ही रहेंगे स्कूल-कॉलेज

कोरोना परिदृश्य को देखते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने विद्यार्थियों के लिए स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर फिलहाल बंद ही रखने का फैसला लिया है। मुख्य सचिव अरुण कुमार मेहता की अध्यक्षता में हुई आपदा प्रबंधन विभाग की राज्य कार्यकारी कमेटी ने इस संबंध में नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हालांकि, सीमित संख्या में कोविड टीका लगवा चुके स्टाफ सदस्य प्रशासनिक कार्यों के लिए शिक्षण संस्थान जा सकेंगे।

पंजाब में स्कूल खोलने के फैसले पर आप ने जताई आपत्ति

पंजाब में सरकार के स्कूल खोलने के फैसले पर आम आदमी पार्टी (आप) ने कड़ी आपत्ति जताई है। नेता प्रतिपक्ष और आप नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा है कि विद्यार्थियों की सुरक्षा की परिजनों को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को गारंटी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अचानक स्कूल खोलने का फैसला संदेहास्पद है, सरकार को इस मामले में स्पष्टीकरण देना चाहिए। 

नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि डाक्टरों और शिक्षा विशेषज्ञों की कौन सी रिपोर्ट के आधार पर अचानक इतना बड़ा फैसला ले लिया गया है। चीमा ने कहा कि यह 60.5 लाख बच्चों की जिंदगी के साथ जुड़ा फैसला है, जो प्रदेश की कुल आबादी का 20 प्रतिशत हिस्सा और पंजाब का भविष्य भी है। चीमा ने कहा कि लाखों माता-पिता की चिंताएं और डर दूर करने के लिए मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला व स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू को यह स्पष्ट करना चाहिए कि प्रदेश कोरोना के प्रकोप से मुकम्मल तौर पर मुक्त हो गया है।

कोरोना की दूसरी और चर्चित तीसरी लहर समेत डेल्टा वैरिएंट के खतरे से अब पंजाब पूरी तरह से सुरक्षित है। परिजनों और अध्यापकों को पिछले तीन-चार दिनों से देश भर में बढ़ रहे कोरोना के नए मामलों की कोई चिंता नहीं करनी चाहिए। स्कूल खोलने से पहले सभी 19500 सरकारी और 9500 प्राइवेट स्कूलों में कोरोना रोकने के दिशा-निर्देशों के अनुसार तकनीकी, डाक्टरी और विशेष करके 6 फूट की शारीरिक दूरी संबंधित सभी प्रबंध पूरे कर लिए गए हैं। सरकार खास कर शिक्षा और सेहत विभाग को तसल्ली हो चुकी है कि सरकारी स्कूलों के सभी 2208339 और प्राइवेट स्कूलों के करीब 38 लाख विद्यार्थियों के लिए माता-पिता या सरकार की ओर से मास्कों का पूरा प्रबंध है और कोई भी विद्यार्थी स्कूल में बिना मास्क प्रवेश नहीं करेगा। 

50 लाख विद्यार्थियों को कैसे संभालेंगे शिक्षक

चीमा ने कहा कि राज्य में सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में लगभग 50 विद्यार्थी हैं। इनके मुकाबले शिक्षकों की संख्या बेहद कम है। बच्चों को संभालने वाले अध्यापकों का अनुपात बच्चों की सुरक्षा के बारे में गंभीर चिंता पैदा करता है। सरकारी स्कूलों के 2208339 विद्यार्थियों के लिए 116442 अध्यापक हैं। प्राइवेट स्कूलों के 38 लाख विद्यार्थियों के लिए लगभग 160000 अध्यापक हैं। चीमा ने कहा कि ऐसी जमीनी हकीकतों के कारण ही आप, मुख्यमंत्री से बड़े फैसले के बारे में स्पष्टीकरण मांग रही है।

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