नई दिल्ली, एएनआइ। नए चीफ एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा कि राफेल, अपाचे के शामिल होने से हमारी युद्ध क्षमता में काफी इजाफा हुआ है। हमारे बेड़े में नए हथियारों के एकीकरण के साथ हमारी आक्रामक स्ट्राइक क्षमता और भी अधिक शक्तिशाली हो गई है। एयर चीफ मार्शल चौधरी ने भारतीय वायुसेना की 89वीं वर्षगांठ पर कहा, ‘साइबर हमलों से बचने के लिए हमने अपने नेटवर्क को सख्त किया है। हमारे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना सशस्त्र बलों के बीच एकीकरण को उत्सुक है। तीनों सेवाओं द्वारा संयुक्त योजना और संचालन के परिणामस्वरूप हमारी युद्ध क्षमता में अधिकतम वृद्धि होगी। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति यह है कि चीनी वायु सेना अभी भी एलएसी की अपनी तरफ के तीन हवाई अड्डों पर मौजूद है। हम अपनी तरफ से पूरी तरह से तैनात और तैयार हैं।

चौधरी से लद्दाख के पास चीनी वायु सेना की क्षमताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘कई ऊंचाई वाली जगहों पर मिशन करने को चीन की क्षमता कमजोर रहेगी।’

वायुसेना प्रमुख ने मिग -21 की दुर्घटनाओं को माना है। उन्होंने कहा कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि उड़ान भरने वाला प्रत्येक विमान सभी जांचों से गुजरता है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास मिग-21 के चार स्क्वाड्रन हैं और अगले तीन से चार वर्षों में ड्राडाउन होने की संभावना है।

हम हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) से 6 लाइट यूटिलिटी हेलीकाप्टर जल्द ही लेने वाले हैं।

हम लंबे समय से स्वदेशी एंटी-ड्रोन क्षमता पर काम करने का प्रयास कर रहे हैं। हम वायुसेना के लिए काउंटर यूएएस प्रणाली को डिजाइन और विकसित करने के लिए हर तरह से स्टार्टअप करने को साथ हैं।

कोयंबटूर दुष्कर्म का मामला

वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘ऐसी किसी भी घटना पर भारतीय वायुसेना का कानून बहुत सख्त है। एक महिला अधिकारी पर किए गए टू-फिंगर टेस्ट को गलत बताया गया है। कोई टू-फिंगर परीक्षण नहीं किया गया था। हम नियमों से अच्छी तरह वाकिफ हैं और सभी उचित कार्रवाई की जाएगी।’

दो मोर्चों पर युद्ध की संभावना पर चौधरी क्या बोले

चीन-पाकिस्तान साझेदारी से डरने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन चिंता की एकमात्र बात यह है कि पश्चिमी तकनीक पाकिस्तान से चीन तक जा रही है।

वहीं, वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘हमारी 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान की आवश्यकता डीआरडीओ द्वारा विकसित किए जा रहे एएमसीए (स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के विमान) से पूरी होगी और सीमा पार देश की क्षमता से मेल खाएगी।’ इसके अलावा उन्होंने कहा कि पुराने विमानों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने और नए विमानों को शामिल करने के मद्देनजर हम अगले दशक तक लगभग 35 लड़ाकू स्क्वाड्रन के पास होंगे।

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