गांगेय डॉल्फिन की जनसंख्या गणना का कार्यक्रम शुरु होगा: अश्विनी चौबे

5 अक्टूबर 2021 केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि गांगेय डॉल्फिन की जनसंख्या गणना की जाएगी। हाल ही में मंत्रालय ने इसे लेकर एक गाइडलाइन भी जारी किया है। डॉल्फिन की गणना वैज्ञानिकों, वन विभागों, गैर सरकारी संगठनों के विशेषज्ञों, स्थानीय लोगों आदि की भागीदारी से की जाएगी और यह एक संयुक्त प्रयास होगा।


वे भागलपुर वन प्रमंडल द्वारा गांगेय डॉल्फिन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का प्राथमिक लक्ष्य डॉल्फ़िन का संरक्षण और नदियों पर निर्भर समुदायों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है। डॉल्फ़िन का संरक्षण लोगों और जैव विविधता के बीच एक सहजीवी संबंध और जैव विविधता के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। केंद्रीय राज्यमंत्री श्री चौबे ने प्रोजेक्ट डॉल्फिन के बारे में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में इस प्रोजेक्ट के तहत डॉल्फिन का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाएगा।विक्रमशिला गांगेए डॉल्फिन आश्रयणी को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल बनाने की दिशा में सारे आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण करवाया जाएगा। 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने प्रोजेक्ट डॉल्फिन लॉन्च करने घोषणा की थी। इस प्रस्तावित परियोजना का उद्देश्य नदी और समुद्री डॉल्फिन की सुरक्षा करना है। केंद्रीय राज्य मंत्री श्री चौबे ने कहा कि भारत सरकार डॉल्फ़िन के साथ-साथ घड़ियाल, कछुओं, मछलियों, पक्षियों आदि जैसी अन्य संबद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना, जिसका नाम ‘प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन’ है, को आगे बढ़ा रही है। डॉल्फ़िन प्राचीन काल से भारत में रही हैं। डॉल्फ़िन नदी प्रदूषण को नियंत्रित करने में योगदान देती हैं और इस तरह पानी की गुणवत्ता में सुधार करने में सक्षम होती हैं। भारत में डॉल्फिन अधिक संख्या में असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में पाई जाती है। भारत मे 3 हजार के करीब डॉल्फिन है। गंगा के साथ सहायक नदियों में भी डॉल्फिन है। बिहार में सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव तक के करीब 60 किलोमीटर क्षेत्र को ‘गैंगेटिक रिवर डॉल्फिन संरक्षित क्षेत्र’ घोषित किया था। उन्होंने कहा कि डॉल्फ़िन परियोजना में डॉल्फ़िन के संरक्षण और स्थानीय समुदायों के लिए बेहतर आजीविका के अवसर के दोहरे उद्देश्य के साथ डॉल्फिन पर्यटन को बढ़ावा देने की परिकल्पना की गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि कनाडा एवं जापान की तर्ज पर बिहार में एवं अन्य जगहों पर जहां डॉल्फिन हैं वहां पर डॉल्फिन दर्शन केंद्र की स्थापना हो। इससे आसपास के क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। नाव संचालक, डॉल्फिन दिखाने के लिए गाइड, स्थानीय व्यंजनों और हस्तशिल्प आदि का भी बढ़ावा इसके जरिए मिलेगा। साथ ही डॉल्फ़िन पर्यटन से लोगों में डॉल्फ़िन के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और स्थानीय मछुआरे समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों में भी वृद्धि होगी। डॉल्फ़िन प्रोजेक्ट में डॉल्फ़िन मित्र बनाने का भी प्रस्ताव है।, जिसमें स्थानीय समुदाय, मुख्य रूप से मछुआरे, डॉल्फ़िन के मित्र होने के नाते उनकी सुरक्षा में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। गंगा नदी के तट के दोनों ओर के स्थानीय लोग, उसकी सहायक नदियाँ और वितरिकाएँ डॉल्फिन मित्र के रूप में शामिल होंगी। वे लोगों को डॉल्फिन संरक्षण के प्रति जागरूक करेंगे। भारत सरकार डॉल्फिन परियोजना के कुछ हिस्से का वित्तपोषण करेगी। राज्य सरकार द्वारा डॉल्फिन के आश्रयणी क्षेत्र में आधुनिक यंत्रों के सहारे डॉल्फिन के व्यवहार एवं संरक्षण के लिए डॉल्फिन मॉनिटर स्टेशन स्थापित किया जाएगा। जीपीएस सेटेलाइट टैग* के माध्यम से डॉल्फिन का वास्तविक काल में व्यवहार का अध्ययन करने की भी योजना है।डॉल्फिन संरक्षण एवं प्रबंधन से जुड़े मानव बल को नियमित अंतराल पर प्रशिक्षण की रूपरेखा तैयार की जाएगी। डॉल्फिन का संरक्षण एवं संवर्धन कार्य को कुशलता संपादित करने के लिए डॉल्फिन संरक्षण बल का गठन किया जाएगा। बिहार में डॉल्फिन मित्र के मानदेय की राशि भी निर्गत कर दी गई है। इस मौके पर मंत्रालय के अधिकारी सहित भागलपुर वन प्रमंडल के सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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