गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्रा नताशा नरवाल ने गुरुवार को एक अदालत के समक्ष आरोप लगाया कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों के मामले में पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल और आईबी के अधिकारी अंकित शर्मा सहित केवल तीन व्यक्तियों की मौत के इर्द-गिर्द घूमती है और इसमें अन्य स्थानीय व्यक्तियों की मौतों को नजरअंदाज किया गया है।

नताशा नरवाल के वकील अदित पुजारी ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष आरोप लगाया कि दंगों में 53 लोगों की मौत हुई, लेकिन चार्जशीट केवल तीन व्यक्तियों की मृत्यु के इर्द-गिर्द घूमती है।

उन्होंने कहा कि क्या हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां एक पुलिसकर्मी का जीवन 48 अन्य नागरिकों के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण है। अभियोजन पक्ष ने दंगों में मारे गए 53 लोगों का नाम लिया, फिर भी साजिश संबंधी चार्जशीट तीन लोगों रतन लाल, राहुल सोलंकी और अंकित शर्मा के इर्द-गिर्द घूमती है। 

दिल्ली दंगे में 53 लोगों की हुई थी मौत

गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे।

इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।

इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी को गोकलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी। 

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