महाराष्ट्र के नासिक शहर के जाकिर हुसैन हॉस्पिटल में ऑक्सीजन टैंक में हुई लीकेज के चलते अस्पताल में भर्ती 22 मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई है। सूत्रों की माने तो यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। जानकारी के मुताबिक इस अस्पताल में 65 से ज्यादा मरीज वेंटीलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। जिनमें से 35 मरीजों की हालत नाजुक बताई जा रही थी। मरने वाले लोगों में 11 पुरुष और 11 महिलाएं बताई जा रही हैं। यह हादसा तकरीबन साढ़े बारह बजे के आसपास हुआ है।

नासिक के जिलाधिकारी सूरज मांढरे के मुताबिक आज सुबह अस्पताल में लगे ऑक्सीजन टैंक का कॉक खराब हो गया था, जिसकी वजह से गैस का लीकेज शुरू हुआ। इस वजह से ऑक्सीजन की सप्लाई का प्रेशर कम हो गया और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखे गए 22 मरीजों की मौत हो गयी है। हालांकि इस लीकेज को आधे घंटे के भीतर दुरुस्त कर दिया गया । मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नासिक हादसे में मरने वाले 22 लोगों के परिजनों को 5 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया। साथ ही उच्चस्तरीय जाँच के आदेश दिए।

इस घटना के बाद नासिक के अस्पताल में फिर से ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू हो चुकी है। मरीजों को बेड पर ऑक्सीजन देने का काम किया जा रहा है। हालांकि इस दुर्घटना की वजह से कई मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है। इस दुर्घटना के पीछे कोई मानवीय भूल है या किस वजह से इतनी बड़ी दुर्घटना घटी? इन तमाम बातों पर फिलहाल प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। प्रशासन का कहना है कि पहले लोगों की जान बचाना हमारी प्राथमिकता है।

ऑक्सीजन टैंक के लिए नहीं थी टेक्निकल टीम

जानकारी के मुताबिक अस्पताल में जिस कंपनी ने ऑक्सीजन टैंक स्थापित किया था। उनकी तरफ से टैंक की देखरेख के लिए टेक्निकल टीम के व्यक्ति का होना जरूरी होता है। ऑक्सीजन प्लांट की देखरेख करना डॉक्टरों का काम नहीं होता है। ऐसे में टेक्निकल टीम को ऑक्सीजन टैंक के लिए क्यों नहीं रखा गया है? यह सवाल भी अब पूछा जा रहा है।

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