कहाँ तो यह कहा जा रहा था कि दिल्ली अब इस कदर प्रदूषित हो चुकी है कि यहां रहना अपनी उम्र को कम करना होगा।हवा में वो विषैले कण घुल चुके थे कि 28-30 साल की उम्र वालों को को फेफडे के कैसर का खतरा उत्पन्न हो गया था। लेकिन इन दिनो लाकडाउन ने कमाल कर दिखाया।

सच मानिए कि दिल्ली की हवा को साफ करने का जो काम तमाम सरकारी संस्थाएं नहीं कर सकीं, कोरोना वायरस के चलते देश बंदी ने उसे एक झटके में कर दिया। लॉकडाउन के बाद से राजधानी की हवा से न सिर्फ धूल और धुआं साफ हुआ बल्कि हानिकारक गैसें और रसायनों की मात्रा में भी खासी गिरावट आई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। वहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा ने उपग्रह चित्रों के हवाले से भारत में प्रदूषण की स्थिति 20 साल में सबसे कम होने की बात

राजधानी दिल्ली के लोग इन दिनों सबसे ज्यादा साफ-सुथरी हवा में सांस ले रहे हैं। वैसे राजधानी दिल्ली और एनसीआर का पूरा क्षेत्र देश का सबसे ज्यादा प्रदूषित हिस्सा है। लोग साल के ज्यादातर समय खराब हवा में सांस लेने के लिए विवश रहते हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लॉकडाउन का दिल्ली की हवा पर पड़े प्रभाव का आकलन करने के लिए 16 से 21 मार्च और 25 मार्च से 15 अप्रैल तक की हवा का अध्ययन किया।

लॉकडाउन 25 मार्च से लागू किया गया था। दिल्ली में 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक सबसे ज्यादा प्रदूषण रहता है। इसके कारण ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान या ग्रैप जैसे नियम बनाए गए हैं। इसके बावजूद दिल्ली की हवा को साफ-सुथरा मुश्किल साबित होता रहा है। लेकिन, लॉकडाउन ने दिल्ली की हवा में घुले जहर को काफी हद तक साफ कर दिया है।

हानिकारक गैसों में भी भारी कमी

सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के कारण दिल्ली की हवा में धूल और धुएं की मात्रा तो कम हुई ही है, हानिकारक गैसों की मात्रा में भारी कमी आई है। बेंजीन की मात्रा 47 फीसदी और सल्फर डाई आक्साइड की मात्रा में 19 फीसदी की कमी आई है।

प्रदूषक कण पीएम 10 की मात्रा में 50 फीसदी कमी आई है तो पीएम 2.5 की मात्रा हवा में 46 फीसदी घटी है। 56 फीसदी कमी आई नाइट्रोजन ऑक्साइड में तो 37 फीसदी कार्बन मोनो ऑक्साइड कम हुआ है।

बिजली संयंत्र पैदा कर रहे प्रदूषण

तमाम प्रदूषकों की तुलना में सल्फर डाई आक्साइड की मात्रा में कमी आई है। इसके पीछे दिल्ली के आसपास स्थित बिजली संयंत्र कारण हो सकते हैं। टेरी की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां सल्फर डाई आक्साइड की 70 फीसदी मात्रा के लिए बिजली संयंत्र जिम्मेदार है।
 
लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही ज्यादातर वाहनों के संचालन पर पाबंदी लग गई है। इसके साथ ही उद्योग और निर्माण गतिविधियां भी बंद हैं। होटल-रेस्टोरेंट जैसी जगहें भी बंद हैं। इसके चलते धूल, धुआं और तमाम प्रकार की गैसों से होने वाले प्रदूषण में खासी कमी दर्ज की गई है।

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