मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि संपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) के फंड मैनेजरों की सैलेरी के न्यूनतम 20 प्रतिशत का भुगतान म्यूचुअल फंड योजनाओं की उन यूनिट्स के रूप में किया जाएगा जिनका वे प्रबंधन करते हैं। फंड मैनेजरों के अलावा, फंड हाउस के अन्य सभी “प्रमुख कर्मचारी” भी इसी प्लान में कवर किए जाएंगे, जैसे कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), मुख्य निवेश अधिकारी (सीएफओ) और अन्य कर्मचारी जिन्हें फंड हाउस में प्रमुख कर्मचारी कहा जाता है।

क्यों लिया गया फैसला

यह घोषणा उन रिपोर्टों के सामने आने के बाद की गई है जिनमें कहा गया है कि फ्रैंकलिन टेम्पलटन एएमसी के कुछ प्रमुख कर्मचारी उन योजनाओं में अपनी यूनिट्स को बेच रहे हैं, जिन्हें निर्धारित समय से पहले बंद कर दिया गया था। सेबी का फैसला 1 जुलाई से लागू होगा। सेबी की तरफ से जारी किए गए सर्कुलर के मुताबिक एसएमसी के प्रमुख कर्मचारियों के वेतन / भत्तों / बोनस / गैर-नकद मुआवजे (ग्रॉस एनुअल सीटीसी) का न्यूनतम 20 फीसदी हिस्से का भुगतान उन म्यूचुअल फंड योजनाओं की यूनिट्स के रूप में किया जाएगा, जिसमें उनकी भूमिका / ओवरसाइट है।

कौन-कौन से कर्मचारी होंगे शामिल

सेबी के सर्कुलर के अनुसार जिन प्रमुख कर्मचारियों को यूनिट के रूप में सैलेरी मिलेगी उनमें सीईओ, मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ), मुख्य जोखिम अधिकारी (सीआरओ), मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी (सीआईएसओ), मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ), फंड मैनेजर, कम्प्लायंस ऑफिसर, सेल्स हेड, निवेशक संबंध अधिकारी (आईआरओ), अन्य विभागों के प्रमुख, और एएमसी डीलर, सीईओ को डायरेक्ट रिपोर्ट (व्यक्तिगत सहायक / सचिव को छोड़कर), फंड मैनेजमेंट टीम, एएमसी और ट्रस्टी द्वारा शामिल किए गए अन्य कर्मचारी शामिल हैं।

किन पर नहीं लागू होगा नियम

इस ऑर्डर से एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ), इंडेक्स फंड्स, ओवरनाइट फंड्स और मौजूदा क्लोज एंडेड स्कीम को शामिल नहीं किया गया है। सेबी के अनुसार म्यूचुअल फंड इकाइयों में किए गए भुगतान को कम से कम तीन साल या स्कीम की अवधि के लिए लॉक कर दिया जाएगा।

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