नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नए कोरोना स्वरूप का पता लगाने के लिए जीनोम सर्विलांस तेज करने का फैसला किया है। इसके तहत राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में मिले रहे कोरोना के पांच फीसदी पॉजिटिव मामलों की होल जीनोम सिक्वेंसिंग होगी ताकि यह देखा जा सके कि उनमें नया स्वरूप तो मौजूद नहीं है।
नए स्वरूप को लेकर कोरोना पर बनी नेशनल टास्क फोर्स की शनिवार को बैठक हुई, जिसमें स्थिति की समीक्षा की गई। बैठक में नीति आयोग के सदस्य वीके पाल और आईसीएमआर महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव तथा एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया आदि मौजूद थे।
बैठक में तय किया गया कि उपचार के प्रोटोकाल में कोई बदलाव नहीं किया गया जाएगा। साथ ही यह भी तय किया गया है कि ब्रिटेन से आए लोगों की जांच की जा रही है तथा जो लोग कोरोना पॉजिटिव निकले हैं, उनमें पाए गए वायरस की होल जीनोम सिक्वेंसिंग (डब्ल्यूजीएस) होगी। जीनोम रिपोर्ट में नए स्वरूप की पुष्टि नहीं होने के बाद ही ब्रिटेन से आए लोगों को सांस्थानिक निगरानी से छूट दी जाएगी।
नया रूप ज्यादा संक्रामक
बैठक में बताया गया कि ब्रिटेन में जो नया रूप पाया गया है। उसमें कुल 20 बदलाव हुए हैं। इनमें 14 बदलाव एमिनो एसिड में हुए हैं जबकि 6 नॉन एमिनो एसिड में हुए हैं। तीन फीचर डिलीट हुए हैं। इस प्रकार कुल 17 बदलावों में से आठ स्पाईक प्रोटीन में हैं जो संक्रमण के लिए जिम्मेदार होता है। इसलिए नया रूप ज्यादा संक्रामक है।