इंडियन एयर फोर्स के मिग-21 विमान अक्सर क्रैश या अन्य दुर्घटनाओं के कारण चर्चा में बने रहते हैं. हाल ही में मोगा में मिग-21 बायसन फाइटर एयरक्रॉफ्ट क्रैश हो गया, जिसमें पायलट अभिनव चौधरी की मौत हो गई. इस साल मिग की यह तीसरी घटना है. इससे पहले भी कई मिग विमान क्रैश हो चुके हैं. इसी वजह से इसे “उड़ता ताबूत” भी कहते हैं. आइए इस पूरे मामले को विस्तार से जानते हैं.

इस साल यानी 2021 में महज पांच महीने में ही तीन मिग विमानों की दुर्घटनाएं देखने को मिली हैं, ताजा मामला पंजाब के मोगा का है. जहां बीते गुरुवार की रात मिग-21 बायसन फाइटर एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया. इस क्रैश में स्क्वॉड्रन लीडर अभिनव चौधरी की मौत हो गई.

इस घटना के बाद से ही एक बार फिर इस लड़ाकू विमान पर सवाल उठना लाजिमी है. कि लगभग 60 साल पुराने इस विमान को अब भी क्यों उड़ाया जाता है? दरअसल जब से यह विमान वायुसेना में शामिल हुआ है तब से अब तक 400 से ज्यादा बार क्रैश हो चुका है, जिसमें अब तक 200 पायलट समेत 256 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. सिर्फ अगर हम साल 2021 की बात करें तो मात्र एक साल में इस विमान से तीन दुर्घटनाएं हुईं हैं. पंजाब के मोगा से पहले मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी 17 मार्च को मिग-21 बायसन क्रैश हुआ था, हालांकि इस हादसे में किसी की जान नहीं गई थी. इसके पहले 5 जनवरी को भी राजस्थान के सूरतगढ़ में मिग-21 विमान हादसे का शिकार हो गया था.

लगभग 177 करोड़ रुपए की कीमत वाले मिग-21 को भारतीय वायुसेना ने 1963 में अपने बेड़े में शामिल किया था. उस वक्त वायुसेना ने सोवियत संघ जो आज का रूस है उससे 874 सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 खरीदा था. जिसके बाद 1967 में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इस विमान का प्रोडक्शन शुरू कर दिया था, लेकिन 1985 में रूस ने इस विमान का निर्माण बंद कर दिया था. हालांकि भारत इसको अपग्रेड करता रहा और आज तक इसका इस्तेमाल हो रहा है.

सबसे तेज़ उड़ने वाला विमान कैसे बना ‘फ्लाइंग कॉफिन’

साल 1959 में मिग-21 सुपरसोनिक लड़ाकू विमान दुनिया में सबसे तेज़ गति से उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमानों में से एक था. यही वजह थी कि उस वक्त रूस के इस विमान के आगे दुनिया भर के लड़ाकू विमान पानी भरते थे. दुनिया भर में यह एकलौता विमान है जिसका इस्तेमाल पूरी दुनिया के लगभग 60 देशों ने किया. यही नहीं यह अकेला ऐसा विमान है जिसके पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा 11496 यूनिट्स बनाए गए हैं. हालांकि इसके दुर्घटनाओं का इतिहास भी काफी खतरनाक है. इस लड़ाकू विमान में हादसे का शिकार हो कर इतने लोगों ने अपनी जान गंवाई है कि इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ का भी नाम दे दिया गया है.

कुछ लोग तो इस विमान को ‘विडोमेकर’ भी कहते हैं. यानि विधवा बनाने वाला विमान. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक इस विमान से लगभग 400 से ज्यादा हादसे हो चुके हैं, जिनमें तकरीबन 200 पायलट और 56 अन्य लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. द क्विंट में छपी खबर के अनुसार, साल 2012 में पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने संसद में कहा था कि “रूस से खरीदे गए 827 मिग विमानों में से आधे से अधिक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. इसमें 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. इनमें 171 पायलट, 39 आम शहरी और 8 अन्य सेवाओं के लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.”

भारत क्यों इसे अभी तक इस्तेमाल कर रहा है?

रूस ने जब इस विमान का निर्माण किया तो दुनिया भर के 60 से अधिक देशों ने इस विमान का इस्तेमाल किया, हालांकि समय रहते ज्यादातर देशों ने इसे अपने यहां रिटायरमेंट दे दी लेकिन भारत आज भी इसका इस्तेमाल करता है. जिसने इसे बनाया रूस ने इसे साल 1985 में ही अपने यहां से रिटायर कर दिया था. उसके बाद भारत से कई मायनों में छोटे देश अफगानिस्तान और बांग्लादेश ने भी इसे अपने यहां से हटा दिया है. भारत में जब यह 1963 में खरीदा गया था तो इसकी रिटायरमेंट कि अवधि 1990 डिसाइड की गई थी. लेकिन भारत इसे आज तक अपग्रेड करके इस्तेमाल कर रहा है. जिस तरह से यह विमान दुर्घटना ग्रस्त हो रहे हैं उसे देखते हुए अब इसे भारत से भी रिटायर कर देना चाहिए.

मिग-21 पर वायुसेना क्या कहता है

जिस तरह से मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं और उसके साथ भारत के वीर सपूत भी शहीद हो रहे हैं यह चिंता का विषय है. 2014 में भारतीय वायुसेना प्रमुख रहे अरूप राहा ने इस लड़ाकू विमान को लेकर कहा था कि पुराने विमानों को हटाने में भारत जितनी देरी करेगा भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से खतरा उतना ही बढ़ता जाएगा. बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वायुसेना के कई पायलटों ने मिग-21 विमानों को लेकर शिकायत की है कि इसके कुछ मॉडल बहुत तेजी से लैंडिंग करते हैं और इसके खिड़कियों की डिजाइन ऐसी है कि पायलट अंदर से रनवे को ठीक से देख नहीं पाते. द क्विंट से बात करते हुए वायु सेना के पूर्व वायुसेना के रिटायर्ड अधिकारी मार्शल सुनील नानोदकर मिग-21 के इस्तेमाल पर कहते हैं कि, हमारे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है अपने आसमान की सुरक्षा के लिए. क्योंकि इतने सालों में हमने वायुसेना में फाइटर जेट्स सामिल करने में काफी देरी कर दी है. उन्होंने आगे कहा कि आज हमने भले ही 36 राफेल अपनी एयरफोर्स में शामिल किए हैं, लेकिन जरूरत के हिसाब से ये आज भी कम हैं.’

इतने अपग्रेड होने के बाद भी क्यों होते हैं हादसे

जब से यह विमान भरतीय वायुसेना में शामिल हुआ है तब से लकर अब तक मिग-21 को दर्जनों बार अपग्रेड किया जा चुका है, लेकिन इतने अपग्रेड के बावजूद भी इसके इंजन में सुधार नहीं किया जा सका. द प्रिंट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वायुसेना अधिकारी ने बताया कि जेट द्वारा भार उठाए जा सकने की क्षमता को अपग्रेड करना संभव नहीं है, क्योंकि इसका एयर फ्रेम इस तरह से ही डिजाइन किया गया है. अब तक इस विमान को अपग्रेड करके कई वायुसेना दलों में शामिल किया गया है.

मिग-21 ने भारत को हर युद्ध में जिताया

मिग-21 भारत का गौरव है क्योंकि इसने भारत को रणभूमि में कभी धोखा नहीं दिया. भारत के पास भले ही कई विमान हों लेकिन जब युद्ध में भरोसे की बात होती है तो वायुसेना सबसे पहले मिग-21 को चुनती है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि इस विमान की ऑपरेशनल कॉस्ट और मेंटीनेंस दूसरे फाइटर जेट्स के मुकाबले काफी कम है. यह वही मिग-21 है जिससे बालाकोट एयरस्ट्राइक में विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया था. 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी इस लड़ाकू विमान ने भारतीय वायुसेना का साथ दिया और दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए थे.

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