नई दिल्ली। राज्य सभा से इस्तीफा दे चुके तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद दिनेश त्रिवेदी ने जी न्यूज से खास बातचीत में पार्टी और ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि टीएमसी अपने रास्ते से भटक गई है और इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प बचा नहीं था। टीएमसी की आत्मा कहीं गुम हो गई है, जो परिवर्तन का वादा करके हम आए थे, उसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा नहीं रुक रही है।

टीएमसी में रोज पीएम मोदी और अमित शाह को गाली देने के लिए कहा जाता है. जो जितनी बड़ी गाली देगा, उसे उतने बड़े नंबर मिलते हैं।।यह बंगाल की संस्कृति के बिल्कुल खिलाफ है और मैं ऐसा कतई नहीं कर सकता। जय श्रीराम के नारे पर हुए विवाद पर दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि इस नारे से ममता बनर्जी को क्या दिक्कत है, इसका जवाब तो वही दे सकती हैं। चुनाव में जब में छोटे अंतर से हारा था तब भी यही नारे लगाए गए थे। मैने तो तब भी बीजेपी वालों को पलटकर जय श्रीराम ही कहा था।।

टीएमसी में भ्रष्टाचार के सवाल पर दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि जो भी ऐसे मामले आते हैं उसका दायित्व तो पार्टी अध्यक्ष पर ही होता है। जब मैंने नारदा घोटाले को लेकर सवाल उठाए तो पार्टी ने मुझे निशाने पर लेना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि जेपी नड्डा की गाड़ी पर हमला हुआ, मैंने उसकी भी निंदा की तो पार्टी ने मेरी निंदा की।
सरकार की जिम्मेदारी है कि हर खास और आम नागरिक को सुरक्षा दे, अगर कुछ गलत होता है तो उसकी जिम्मेदारी प्रशासन के साथ ऊपर बैठे लोगों को भी लेनी होगी।

अपने इस्तीफे पर दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि चुनाव के बाद अगर नतीजे कुछ और आते हैं तो टीएमसी कहेगी कि हार के बाद आपने पार्टी छोड़ दी। मैं तो पहले ही पार्टी छोड़ रहा हूं जबकि टीएमसी जीत का दावा कर रही है, ऐसे ही मैंने रेल मंत्री का पद भी छोड़ा था. अब टीएमसी जिसे लाना चाहती है उसे राज्यसभा में ला सकती है, अभी तो 5 साल से ज्यादा का वक्त बचा है।

पार्टी नेताओं की बयानबाजी पर दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि ममता बनर्जी काफी व्यस्त हैं और संघर्ष के दिनों में उनसे बात हुआ करती थी, अब वो सत्ता में हैं और उनसे बात नहीं होती है। टीएमसी अब कंसल्टेंट की पार्टी बनकर रह गई है, अब ममता बनर्जी से बात करने से पहले कंसल्टेंट से बात करनी पड़ती है. अब टीएमसी मेरी वाली पुरानी पार्टी नहीं रह गई है।

उन्होंने कहा कि आदर्श और आत्मा की आवाज को सुनकर मैंने अपना इस्तीफा दिया है। राजनीति में जिस देश सेवा के मकसद से आए थे वह अब टीएमसी में रहकर पूरा होता नहीं दिख रहा है। घुटन का मतलब भी यही है कि जो बदलाव के लिए हमें भेजा गया था, वह मैं नहीं कर पा रहा था। बंगाल की जनता रोज हिंसा की शिकायत करती है लेकिन दिनेश त्रिवेदी कुछ नहीं कर सकते, ऐसे में इस्तीफा देना ही बेहतर विकल्प था।

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