शोक सभा का आयोजन

वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर परिवार के वयोवृद्ध प्रतिनिधि एवं उद्भट विद्वान महंत पं. रामशंकर त्रिपाठी के निधन पर शोक सभा का आयोजन बुधवार को उनके गुरुबाग स्थित आवास पर किया गया।

शोक सभा की अध्यक्षता श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर महंत परिवार के अध्यक्ष महंत डा. कुलपति तिवारी ने की। डा. कुलपति तिवारी ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत पं.रामशंकर त्रिपाठी काशी के गौरव का एक अध्याय थे। उनके चिर निद्रा मे सोने के साथ ही उस अध्याय का थत हो गया ।

कुलपति तिवारी ने कहा कि देश की पहली शैव अकादमी की स्थापना करने शैव दर्शन की विराट मीमांसा के लिए देशभर के विद्वानों और धर्मगुरुओं को एक साथ ले आए। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि धुर विरोधियों को भी उन्होंने एक मंच पर ला दिया था। ऐसा उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक अवसरों पर किया है। देशभर के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित उनके सारगर्भित आलेखों में मेरी बातों का प्रमाण अब भी मौजूद है। उन्होंने कहा कि यह उनकी विद्वता ही थी जिसके कारण रामधारी सिंह दिनकर, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा एक साथ उनके पास पहुंचे। उनका जितना अधिकार संस्कृत और सनातन संस्कृति से संबंधित ज्ञान पर था उतना ही अधिकार फारसी, आयुर्वेद,शैव दर्शन पर भी था। पं. रामशंकर त्रिपाठी के ज्येष्ठ पुत्र पं. ज्योतिशंकर त्रिपाठी ने कहा कि जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, माता आनंदमयी, काठिया बाबा, संत सीताराम ओकारनाथ महाराज, आचार्य सीताराम चतुर्वेदी,  कथाकार अमृतलाल नागर जैसे व्यक्तित्वों को वह  अपनी विद्वता और सहजता के कारण अत्यंत प्रिय थे। राय जयकृष्ण दास, प्रो. वासुदेव शरण, दार्शनिक जे.कृष्णामूर्ति, जयशंकर प्रसाद के पुत्र रत्नशंकर प्रसाद, राजवैद्य पं. शिवकुमार शास्त्री, आचार्य सत्य नारायण शास्त्री के साथ उनकी बड़ी घनिष्ठता थी।

डा. रतिशंकर त्रिपाठी ने कहा कि एक बार पं. रविशंकर के गुरु उस्ताद अलाउद्दीन खां साहब ने बाबा विश्वनाथ को संगीत सुनाने की इच्छा महंत रामशंकर त्रिपाठी से जाहिर की। उन्होंने पूछा कि मंदिर में कहां बैठना पसंद करेंगे तो उस्ताद ने कहा दरवाजे पर खड़ा होकर सुनाऊंगा। बाबा अलाउद्दीन खां ने बाबा के दरवाजे पर खड़े होकर मैहर बैंड की प्रस्तुति दी थी। शोक सभा में अजीत शंकर त्रिपाठी, कलित शंकर त्रिपाठी, राजित शंकर त्रिपाठी, रंजीत शंकर त्रिपाठी, मंगल गुरु, धन्नी गुरु, मणिशंकर त्रिपाठी, हिमांशु शंकर त्रिपाठी, करनशंकर त्रिपाठी, कन्हैया दुबे केडी, एएम. हर्ष, एसआर.मिश्रा, मनोज कुमार,सुमन पाठक, सरिता त्रिपाठी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। 

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