जम्मू दौरे के दौरान मिल्खा सिंह ने एक शेर कहा कि ‘हाथ की लकीरों से जिंदगी नहीं बनती, अजम हमारा भी कुछ हिस्सा है जिंदगी बनाने का’। 1960 के दशक के हीरो और फ्लाइंग सिख के नाम से दुनिया भर में मशहूर मिल्खा सिंह तब पाकिस्तान को याद कर भावुक हो उठे थे। उन्होंने कहा कि लड़ाई से कुछ नहीं निकलता। भारत और पाकिस्तान को सीख लेनी होगी। भारत हर क्षेत्र में पाकिस्तान से बहुत आगे है। यहां और पाकिस्तान में जमीन आसमान का फर्क है।

‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर दिग्गज खिलाड़ी मिल्खा सिंह की तमन्ना थी कि उनके जीते जी जम्मू-कश्मीर का युवा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते। वह पहाड़ के युवाओं को ओलंपिक खेलों में तिरंगा फहराते हुए देखना चाहते थे। 

मिल्खा सिंह अक्तूबर 2018 में सुदेश राम कृष्ण ट्रस्ट की तरफ जम्मू में आयोजित मैराथन में युवाओं का हौसला बढ़ाने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने युवाओं से कई मुद्दों पर बात करते हुए नशे से दूर रहने के साथ देश के लिए खेलने को प्रेरित किया था। फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ने गुलशन ग्राउंड से झंडी दिखाकर मैराथन को शुरू करवाया।

इसके बाद वह कई बार युवाओं को जोश दिलाने के लिए उनके साथ मैदान में उतर गए थे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से खेलों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। बस प्रतिभाओं को खुद को साबित करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के जीवन से प्रेरणा लेते गरीबी से जूझते, मेहनत करते हुए आगे बढ़ा जा सकता है। युवाओं का सही मार्गदर्शन करने और उन्हें आधुनिक खेल सुविधाएं उपलब्ध करवाने की जरूरत है। अगर उन्हें ये सब चीजें उपलब्ध करवा दी जाएं तो फिर उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

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