– के.एन. गोविन्दाचार्य
चितक- विचारक
(1) पंचायतों मे जमीन, जल, जंगल, जानवर, कृषि, गोपालन, शिक्षा, स्वास्थ्य न्याय को क्रियाशील करना होगा|
(2) पंचायतों को सशक्त, स्वावलंबी बनाने के लिये 15 कि.मी. के व्यास के इलाके को एक पंचायत मानना और गतिविधियाँ करना| पंचायतों के चुनाव बहुमत से नहीं सर्वानुमति या सर्वसम्मति से हो|
(3) 127 कृषि पर्यावरणीय जलवायु प्रक्षेत्र में जिलों का तालमेल बैठाना|
(4) जिलों में बौद्धिक, रचनात्मक, आंदोलनात्मक आदि पहलुओं मे कार्यरत व्यक्तियों, समूहों, संगठनों को जिलास्तर पर गूंथना, एक टीम का स्वरुप देना|
(5) जिलों का Resource Atlus बनाना|
(6) सज्जनशक्ति का सम्मेलन (संगम) जिलों में आयोजित करना|
(7) प्राकृतिक खेती के किसी भी विधि का पंचायत मे इस्तेमाल हो, पंचस्तरीय बागवानी का आश्रय लें, फलदार छायादार पेड़ लगें| अग्निहोत्र का प्रयोग हो|
(8) पंचायत स्तर पर गो-संवर्धन हो, गोपालन को लाभदायी बनाने के प्रयोग हों | 1 मनुष्य 1 गोवंश की दिशा मे प्रयास हों|
(9) सूचना प्रौद्योगिकी का प्रशिक्षण पंचायतों में हो| उसके अनुरूप पाठ्यक्रम हों|
(10) देशज ज्ञानपरंपरा पर आधारित चिकित्सा व्यवस्था को पंचायतों, जिलों में प्रोत्साहित किया जाय|
(11) हर पंचायत मे स्थानिक कारीगरी केन्द्र स्थापित हों|