विशेष संवाददाता

प्रयागराज। संगम नगरी प्रयागराज के नैनी क्षेत्र में स्थापित प्राचीन श्री सोमेश्वर नाथ मंदिर (सोमेश्वर महादेव) के नाम से विश्व विख्यात है।

महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में देसी व विदेशी शिवभक्त शिवलिंग की पूजा पाठ के अलावा मंदिर के ऊपर लगे शिव त्रिशूल के अद्भुत रहस्य को भी जानने के लिए आते हैं। बताया जाता है कि अद्भुत शिव त्रिशूल हर पूर्णमासी के दिन अपने आप ही दिशा बदलते हुए घूम जाता है। जो किसी अचंभे से कम नहीं है।

महाशिवरात्रि के दिन भोर में जैसे ही कपाट खुलता है भक्तों की आपार भीड़ शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाने के लिए जुट जाती है। इस दिन महाशिवरात्रि के पर्व के शुभ दिन सर्वप्रथम देसी व विदेशी शिवभक्त प्राचीन सोमेश्वर नाथ घाट जिसका प्राचीन नाम चंद्रकुंड घाट के नाम से विख्यात है, गंगा स्नान कर मां गंगा की पूजा पाठ करने के बाद श्री सोमेश्वर नाथ मंदिर पहुंचते हैं और वहां पर शिवलिंग की विधि विधान के मुताबिक भव्य पूजा पाठ करते हैं।

यह सिलसिला दिन भर चलता है। वहीं शाम को मंदिर के महंतों की ओर से शिवलिंग के भव्य श्रृंगार के बाद शिव मंत्रोच्चारण के बीच पूजा पाठ एवं आरती का आयोजन किया जाता है। साथ ही मंदिर परिसर में ही रुद्राभिषेक भी किया जाता है। मंदिर के महंत राजेन्द्र पुरी, हरवेंद्र पुरी व शैल पुरी ने बताया कि इस शिव मंदिर का शिव पुराण में भी वर्णन किया गया है और स्वयं भगवान चंद्र देव द्वारा इस मंदिर को स्थापित किया गया है। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित करने मात्र से ही समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

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