भारत में कोरोना वायरस के रिकॉर्ड संख्या में आते नए मामलों और मौत के आंकड़ों ने सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। ऑक्सीजन, बेड और दवाओं की कमी से ये संकट और भी घातक हो रहा है। शनिवार सुबह जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में बीते 24 घंटों में 3,46,786 नए मामले सामने आए हैं और इस दौरान 2,624 मरीजों की मौत हो गई है। कुछ दिन से जारी ऑक्सीजन की कमी का अब भी पूरी तरह हल नहीं निकल पाया है। राजधानी दिल्ली सहित अन्य कई शहरों में हालात बेहद खराब है।

ऑक्सीजन की कमी के कारण दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में 20 गंभीर मरीजों ने रातभर में दम तोड़ दिया है। करीब 200 मरीजों वाले इस अस्पताल में कई घंटों की देरी के बाद ऑक्सीजन पहुंची। दिल्ली के शालीमार बाग के फोर्टिज अस्पताल ने 12:28 बजे ट्वीट कर बताया है कि अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन खत्म होने की कगार पर है। अस्पताल का कहना है कि वहां अभी दो से तीन घंटों के लिए ही ऑक्सीजन बची है। कुछ ऐसी ही हालत कई और अस्पतालों की भी है। भारत की इस बिगड़ती स्थिति पर विदेशी मीडिया में काफी चर्चा हो रही है।

‘खुद को तैयार कर रहे ग्रामीण डॉक्टर’

ब्रिटेन के अखबार द गार्डियन ने आर्टिकल के शीर्षक में लिखा है, ‘भारत के श्रमिक शहरों से पलायन कर रहे हैं, जिसके कारण ग्रामीण डॉक्टर ‘विनाशकारी’ दूसरी लहर का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।’ इसमें लिखा है, ‘प्रवासी श्रमिक बड़ी संख्या में शहरों में लगे लॉकडाउन के बाद गांवों की ओर जा रहे हैं, जो वहां के डॉक्टरों के लिए बुरी खबर है। उन्हें पता है कि भीड़ में शामिल ये लोग कोविड-19 स्ट्रेन अपने साथ लेकर आएंगे, जिससे भारतीय शहर तबाह हो रहे हैं और इसके रिकॉर्ड संख्या में मामले सामने आ रहे हैं।’

‘मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे अस्पताल’

अखबार लिखता है, ‘पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में राजनेताओं ने भारी भीड़ के साथ बीते हफ्ते रैलियां की थीं, वहां संक्रमण बढ़ना शुरू हो गया है।’ इसमें बिरहम जिले के एक डॉक्टर के हवाले से बताया गया है, ‘कुछ ही अस्पतालों में अभी खाली बेड हैं और इनमें से कुछ मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं, चाहे फिर वो कितने ही बीमार क्यों ना हों।’ इसमें लिखा है, ‘यहां तक कि भारत के बड़े शहरों में भी, देश में संक्रमण की विनाशकारी दूसरी लहर के आंकड़े भ्रमित करने वाले हैं। ग्रामीण इलाकों में, जहां 80 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं, वहां की तस्वीर साफ नहीं है।’

‘कोविड का कहर बदतर हो रहा’

कतर के प्रसिद्ध मीडिया संस्थान अल जजीरा ने शीर्षक में लिखा है, ‘भारत में ऑक्सीजन की कमी के बीच कोविड का कहर बदतर हो रहा है।’ इसमें लिखा है, ‘सरकार को अस्पतालों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अधिकारियों ने नए सिरे से अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर जांच की, जहां इसकी कमी के कारण लोगों का दम घुंट रहा है। अस्पतालों के बाहर कोविड-19 मरीजों और उनके सहमे हुए रिश्तेदारों की लंबी कतारें लगी हैं। यहां के टीवी चैनल दिखा रहे हैं कि नई दिल्ली के बतरा अस्पताल में तब ऑक्सीजन टैंकर पहुंचा, जब उसने एसओएस जारी कर कहा कि 260 मरीजों के लिए 90 मिनट की ऑक्सीजन बची है।’

‘मरीजों का दम घुंट रहा है’

अमेरिका की समाचार एजेंसी एपी ने शीर्षक में लिखा है, ‘मामलों में उछाल के बीच कम ऑक्सीजन के कारण भारत के संक्रमित मरीजों का दम घुंट रहा है। दुनियाभर में भारत में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामलों ने बीते तीन दिन में वैश्विक रिकॉर्ड बनाया है। यहां अधिकारियों ने शनिवार को कोविड-19 मरीजों के लिए अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति हेतु नए सिरे से जांच की है। राजधानी दिल्ली और सबसे अधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में बेड और ऑक्सीजन की कमी हो गई है। परिवारों को अपने रिश्तेदार के अंतिम संस्कार के लिए शमशान तक में कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है।’

‘मौत के आंकड़ों ने रिकॉर्ड बनाया’

पाकिस्तानी अखबार डॉन ने शीर्षक में लिखा है, ‘भारत में दैनिक कोविड मौत के आंकड़ों ने नया रिकॉर्ड बनाया है।’ इसमें लिखा है, ‘भारत में कोरोना वायरस के दैनिक मौत के आंकड़ों ने शनिवार को नया रिकॉर्ड बनाया है। सरकार अस्पतालों तक ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर संघर्ष का सामना कर रही है। वायरस की नई लहर के बीच केंद्र सरकार की संक्रमण को लेकर कम तैयारी करने के कारण आलोचना हो रही है। सरकार सबसे प्रभावित शहरों तक ऑक्सीन आपूर्ति के लिए विशेष ट्रेन चलवा रही है। इससे उद्योगपतियों पर ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन बढ़ाने का दबाव बन रहा है।’

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