मुम्बई। कंगना रनौत और बीएमसी के बीच की जंग कानूनी रूप से बॉम्बे हाई कोर्ट में चल रही है। बीएमसी और कंगना के वकील अपने-अपने पक्ष को कोर्ट में जस्टिस एस कथावाला और जस्टिस रियाज चागला के सामने रख रहे हैं। जजों की प्रतिक्रिया से ऐसा लगता है कि बीएमसी की तगडी क्लास लगने वाली है।

कंगना के वकील बिरेन्द्र सराफ ने कोर्ट को कहा कि इस केस में कंगना के साथ गलत हुआ है। उन्होंने कहा कि मुझे संजय राउत की और बीएमसी के अफसर दी याचिका को देखने का मौका ही नहीं मिला तो कृपया मुझे उसका जवाब बाद में देने की अनुमति दें। उनके पक्ष को सुनने के बाद जस्टिस कथावाला ने बताया कि बीएमसी की फाइल्स अभी तक आई ही नहीं है।

इसके जवाब में बीएमसी के वकील अस्पी चिनॉय ने कहा कि वे इस मामले को देख रहे हैं। जस्टिस कथावाला ने ये भी कहा कि उनके पास अभी तक फोन भी नहीं पहुंचे हैं। कथावाला ने वकील सराफ से उनके टीवी न्यूज चैनल को दिए पूरे इंटरव्यू की वीडियो को देने के लिए भी कहा है।

सराफ ने इसके जवाब में उन्हें कहा है कि सभी इंटरव्यू की CD देंगे, जिसमें उन्होंने (राउत) हरामखोर शब्द के मतलब को भी बताया है। इसपर जस्टिस कथावाला ने कहा कि हमारे पास उसके लिए शब्दकोश है। इसपर सराफ ने उन्हें बताया कि संजय राउत के मुताबिक इस शब्द का मतलब नॉटी होता है। जिसपर जस्टिस कथावाला ने हैरानी जताई। उन्होंने पूछा तो फिर नॉटी का मतलब क्या होता है? 

ऐसी ही फुर्ती दूसरे केस में दिखाए बीएमसी

कंगना के वकील बिरेन्द्र सराफ ने कोर्ट को कंगना के ऑफिस में हुई तोड़फोड़ की तस्वीरें दिखाई । उन्होंने पुरानी फोटोज और तोड़फोड़ के बाद ली गई फोटोज में तुलना भी की। इसपर जस्टिस कथावाला ने उनसे कहा, ‘हमारे साथ कई ऐसे केस हुए हैं जब हमने कॉरपोरेशन को किसी जगह को तोड़ने के लिए कहा और उन्होंने नहीं तोड़ा. इसीलिए हमने देखा कि इस केस के हमारे पहले आर्डर पर ही जिस तेजी ने उन्होंने (बीएमसी) काम किया अगर वो शहर के अन्य केस पर भी इतनी तेजी से काम करें तो ये शहर रहने के लिए और बेहतर हो जाएगा.’ उन्होंने ये भी बताया कि कई बार ऐसा भी हुआ है कि बीएमसी को तोड़फोड़ ना करने के लिए फाइन भरना पड़ा है।