1990 के नरसंहार के चश्मदीद वरिष्ठ पत्रकार पदमपति शर्मा का सवाल

हिन्दू हृदय सम्राट बालासाहब ठाकरे के बेटे आखिर क्यों हो गए हैं हिन्दू विरोधी ?

5 अगस्त को रामजन्मभूमि शिलान्यास को लेकर पूरे भारत मे उत्सव का माहौल है । तैयारियां जोरों पर है । अयोध्या नगरी दुल्हन की तरह सज रही है । युगों की लड़ाई के बाद इस शुभ घड़ी के स्वागत में भगवे रंग में डूबो अयोध्या पियरी पहन कर भूमि पूजन के लिए तैयार हो रही है । खुद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर भाई मोदी के कर कमलों से राम मंदिर निर्माण की नींव रखी जाएगी ।

हालांकि कोरोना महामारी की वजह से कोर्ट ने सिर्फ 200 लोगों को भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने की इजाज़त दी है । कोर्ट के इस आदेश को ध्यान में रखते हुए मंदिर न्यास की तरफ से सभी अहम व्यक्तियों को नियंत्रण भी भेजा जा रहा है ।

निमंत्रण पाने वाले विशिष्ट अतिथिगण में कोठारी बंधु की बहन पूर्णिमा भी है। वही कोठारी बंधु जिन्होंने 1990 में कार सेवा के दौरान सबसे पहले विवादित ढांचे पर भगवा लहराया था । इस पूरे मसले पर यू ट्यूब पर नेशन टुडे डॉट कॉम के विशेष कार्यक्रम आपकी बात में नेशन टुडे के पालिटिकल एडिटर अनिता चौधरी ने बात की वरिष्ठ पत्रकार और नेशन टुडे के एडिटर इन चीफ पदमपति शर्मा से ।

वरिष्ठ पत्रकार पदमपति शर्मा ने बताया कि हालांकि भगवान राम को अपनी ही जन्मभूमि का मालिकाना हक दिलाने के लिए रामभक्तों को 500 साल की लंबी लड़ाई लड़नी पड़ीं । लेकिन खुशी की बात ये है कि लाख अड़चनों के बाद भी ,यहां तक कि आतताइयों ने संयम की इम्तन्हा ले ली मगर जीत रामभक्तों की हुई और अंततः भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य 5 अगस्त से शुरू हो जाएगा । सीनियर जॉर्नलिस्ट पदमपति शर्मा जो 1990 से लेकर अब तक रामजन्मभूमि की लड़ाई के चश्मदीद है उनका कहना है कि पूरे विश्व की एकमात्र धर्म सनातन धर्म के के भगवान राम की जीत में रामभक्तों को याद रखा गया इसकी उन्हैं बेहद खुशी है । राम के नाम पर कोठारी भाइयों की शहादत को आज भी याद रखा गया इसके लिए राम मंदिर ट्रस्ट को साधुवाद देना चाहिए । 1990 -1992 की राम भक्तों कि लड़ाई को लेकर ,विस्तृत में क्या कहा पदम जी विस्तृत में जानने के लिए संगलग्न वीडियो जरूर देखें ।

राम मंदिर निर्माण पर बातचीत को आगे बढ़ाते हुते पदम जी कहते है कि हालांकि लड़ाई में अंतिभ विजय राम भक्तों की ही हुई। आखिर वो शुभ घड़ी भी आ गयी है जब मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होने जा रहा है। लेकिन इस शुभ कार्य में राक्षस बन कर विघ्न डालने वालों की कमी नहीं है आज भी। ओवैसी जैसे हिन्दू विरोधी दाढी वाले जिन्ना के दूसरे रूप वाले लोग जब विरोध करते हैं तो दुख नही होता ,दुख तो तब होता है जब हिन्दू हृदय सम्राट के नाम से विख्यात ,शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के पुत्र और महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जो हिंदुओं की ही राजनीति आजतक करते रहे हैं । वो राममंदिर शिलान्यास को लेकर राजनीति कर रहे हैं और कहीं न कहीं इसका विरोध करते नज़र आते हैं । उद्धव ठाकरे के पिताजी बाला साहेब ठाकरे आज होते तो उनके दिल को कितनी ठेस पहुँचती इसका अंदाज़ा शायद उद्धव ठाकरे को नहीं है । पदमपति शर्मा अग्गे बताते हैं कि शेरदिल बाला साहेब ठाकरे ने किस जाबांजी के साथ विवादित ढांचे कै विध्वंस की जिम्मेदारी ली थी । जब सब इस आरोप से बचते हुए दिख रहे थे तो बक साहेब ने सीना ठोक कर कहा था कि हां हमने गुम्बज को तोड़ा है ।

बाला साहेब ठाकरे की उस वक़्त की बेबाक दिलेरी पर क्या बोले पदम जी और किस तरह से महज कुर्सी के लिए काँग्रेस के दबाव में कितना हिन्दू विरोधी हो गए हैं उद्धव ठाकरे, यह जानने के साथ मे दिए गए वीडियो को जरूर देखें ।

ओवैसी के बयान को इस पूरे मसले पर इस्लामिक कट्टरवादी विचारधारा बताते हुए पदमपति शर्मा बताते है कि ओवैसी की सोच सनातन धर्म के विरोध में है ? आगे पदमपति शर्मा ओवैसी से सवाल पूछते है कि ओवैसी को भारत और सनातनधर्म को मानने वालोँ को बताना होगा कि क्या वो अपने आप को बाबर और गजनी की संतान मानते हैं जिसने भारतवर्ष के विन्ध्वंस की कसम खायी थी । धर्म परिवर्तन से उनकी आस्था में बस परिवर्तन आया है । न कि उनके ओरिजिन में । राम सबके है और ओवैसी को अपनी कट्टरविचारधारा से उठ कर बात करनी होगी । पदमपति शर्मा जी ने ओवैसी और उद्धव ठाकरे को सलाह दी कि हमेशा से राम का विरोध करने वाली काँग्रेस से इनको सीख लेनी चाहिए कि किस तरह से भारत की जनता की भावना को देखते हुए उन्होंने राम मंदिर निर्माण पर अपना सुर बदल दिया है और मंदिर निर्माण कार्य में राम भक्तों की भावना के साथ कदम से कदम मिला कर चलने की बात कर रहे हैं । राम मंदिर निर्माण पर रामभक्तों के बलिदान की पूरी कहानी जनाने के लिए वीडियो जरूर देखें ।

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