नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव लगातार बरकरार है। चीन की सेना यहां से पीछे हटने को तैयार नहीं ह। लगता है कि आने वाले दिनों में कुछ बडा घट सकता है। चीन की चालबाज़ी को देखते हुए भारतीय सेना ने दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देना के लिए कमर कस ली है। लद्दाख में भीषण ठंड पड़ती है। ऐसे में यहां के मौसम को देखते हुए भारतीय सेना ने सारी तैयारियां पूरी कर ली है।

सीमा पर हमारे सैनिकों को हथियार की कोई कमी नहीं है। अब ठंड से बचने के लिए दूसरे सामान जैसे कि खास कपड़े, स्पेशल टेंट्स, गाड़ियों के लिए ईंधन और राशन पानी जमा कर लिए गए है। ठंड के दिनों में बर्फबारी के चलते सीमा पर कोई भी समान पहुंचाना कठिन चुनौती होगी।

अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक सीनियर आर्मी ऑफिसर के हवाले दावा किया है कि हर साल लद्दाख में 30 हज़ार मैट्रिक टन राशन की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस साल दोगुने राशन की जरूरत है। क्योंकि इन दिनों वहां हज़ारों सैनिक तैनात हैं। उन्होंने कहा, ‘चीन के सैनिक जल्दी LAC से पीछे हटने को तैयार नहीं है. लिहाज़ा हमलोग लंबे वक्त के लिए तैयारियां कर रहे हैं।

इस साल मई से ही LAC के फॉरवार्ड इलाकों में भारत ने तीन गुना ज्यादा सैनिक तैनात किए हैं। ज्यादातर इलाके 15 हज़ार फीट की ऊंचाई पर है। बर्फबारी के चलते नवंबर के बाद यहां पहुंचना मुश्किल चुनौती होती है। आमतौर पर उत्तर भारत से ट्रक के जरिए यहां सामान दो रास्तों से भेजा जाता है। पहला ज़ोजी ला पास होते हुए श्रीनगर से लद्दाख और दूसरा रास्ता है रोहतांग पास होते हुए मनाली। ये रास्ते सिर्फ मई से लेकर अक्टूबर तक ही खुले रहते हैं। वैसे सेना को सामान चड़ीगढ़ से हवाई जहाज के जरिए भी भेजा जाता है। लेकिन इतना सारा समान भेजना संभव नहीं होगा ।

चीन की चालबाज़ी

चीन भारतीय इलाक़ों में अब भी अपनी सेना के साथ डटा हुआ है और वहां से वापस जाने का नाम नहीं ले रहा है। तकरीबन ढाई महीने से ज़्यादा हो गया है। मेजर जनरल स्तर की दर्जनों बैठकें हो चुकी हैं, कोर कमांडर स्तर की भी चार बैठकें हो चुकी हैं लेकिन जमीन पर अब भी ठोस बदलाव नहीं आया है।

14 जुलाई को भारत चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की चौथी बातचीत में अगले फ़ेज़ को शुरू करने पर सहमति बनी थी लेकिन सूत्रों की मानें तो चीन की सेना पहले फ़ेज़ के बाद एक क़दम भी पीछे नहीं हटी है। पहले फ़ेज़ में गलवान, हॉट स्प्रिंग गोगरा से 1 से 2 किलोमीटर तक चीन और भारतीय सेना पीछे हटी थीं।

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