नई दिल्ली। यूं तो तानाशाही वाले देश के लोगों की जान पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है, क्योंकि वहां किसी एक शख्स की सनक को पूरा करने के लिए देशभर के संसाधनों को झोंक दिया जाता है। यही वजह है कि अमेरिका को अक्सर एटमी धमकी देने वाला उत्तर कोरिया अपने देश की बदहाल होती स्वास्थ्य सेवाओं को संभालने में नाकाम रहा है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जैसी संस्था को वहां के लोगों को टीबी की बीमारी से बचाने के लिए भारत से मदद की अपील करनी पड़ी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की अपील के बाद भारत सरकार, मानवीय आधार पर डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया को दस लाख अमेरिकी डॉलर की मदद देगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोरिया (DPRK) में चलाए जा रहे एंटी ट्यूबरकुलोसिस प्रोग्राम के नाम पर भारत की ओर से ये सहायता दी जाएगी।

उत्तर कोरिया में मेडिकल उपकरणों समेत स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी जरूरतों की कमी है। इस विषय पर संवेदना जताते हुए भारत सरकार ने मानवीय आधार पर लोगों की जान बचाने के लिए आगे आई और अब इसकी अधिकारिक पुष्टि कर दी गई है। इस कड़ी में तपेदिक (टीबी) की बीमारी के उपचार और रोकथाम से संबंधित दवाओं पर फोकस करते हुए मदद पहुंचाई जाएगी।

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