ईरान में चीन की ओर से बड़े निवेश संबंधी वादों के बावजूद भारत ने चाबहार-जाहेदान रेल परियोजना में अपनी भागीदारी को लेकर उम्मीद नहीं छोड़ी है। चीन की चाल फेल करने के लिए कूटनीतिक स्तर पर जवाब देने की तैयारी की गई है। भारत का मानना है कि परियोजना में उसका रास्ता खुला हुआ है। मौजूदा हालात के चलते काम में कुछ सुस्ती जरूर आई है, लेकिन जल्द ही भारत अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेगा।

सूत्रों का कहना है कि ये सही है कि चीन के निवेश वादों को लेकर ईरान में दिलचस्पी है, लेकिन वह भारत से संबंधों में संतुलन बनाए रखने के पक्ष में है। भारत और ईरान के संबंध पारंपरिक है। भारत कूटनीतिक स्तर पर ईरान के संपर्क में है। 

भारत की प्रतिबद्धता में कमी नहीं: सूत्रों का कहना है कि भारत की प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं है। भारत पूरी तरह से खेल में बना हुआ है। जल्द ही स्थिति में सुधार नजर आएगा। 

संपर्क परियोजना से संबंध मजबूत होंगे: सूत्रों ने कहा कि भारत पश्चिम एशियाई देश में विभिन्न संपर्क परियोजना को भारत-ईरान संबंधों को आगे बढ़ाने के रूप में देखता है। चाबहार-जाहेदान बंदरगाह रेल परियोजना और मुंबई से मॉस्को तक उत्तर-दक्षिण अंतरराष्ट्रीय गलियारा योजना पर ईरान और भारत मिलकर काम कर रहे हैं। यह गलियारा ईरान से होकर गुजरेगा। 
 
काफी काम कर चुका है भारत: सूत्रों का कहना है कि चाबहार प्रोजेक्ट में काफी कुछ काम हुआ है और कुछ जगहों पर परिचालन शुरू हुआ है। जहां तक रेल प्रोजेक्ट की बात है, तो इसके दो घटक हैं। कुछ काम ईरान को करना है जिसमें धन की कमी के चलते देरी देखी गई। ईरान का काम पूरा होने पर भारत स्टॉक की आपूर्ति करेगा और परिचालन संयुक्त रूप से किया जाएगा।

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