भारत ने अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा पर चिंता व्यक्त करते युद्धग्रस्त देश में रक्तपात में तत्काल कमी लाने का शुक्रवार को आह्वान किया और कहा कि देश में किसे शासन करना चाहिए, यह ‘वैध पहलू’ महत्वपूर्ण है. इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस के अपने समकक्ष सर्गेइ लावरोव के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘निश्चित तौर पर हम अफगानिस्तान में घटनाओं से चिंतित हैं.’

उनकी यह टिप्पणी तब आई है, जब 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के मद्देनजर हाल के हफ्तों में तालिबानियों ने दर्जनों जिलों पर कब्जा जमाया और ऐसा माना जा रहा है कि देश के एक तिहाई हिस्से पर उसका नियंत्रण है. रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने कहा, ‘हमारा जोर इस बात पर है कि हिंसा रुकनी चाहिए. अफगानिस्तान में हालात का समाधान हिंसा नहीं हो सकती. आखिर में अफगानिस्तान पर कौन शासन करता है यह इसका वैध पहलू है. मुझे लगता है कि इसे नजरअंदाज नहीं किए जाना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘30 साल से अधिक समय से अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने पर चर्चा के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुए, समूह बने, कई रूपरेखा पेश की गईं. अगर हम अफगानिस्तान और उसके आसपास शांति चाहते हैं तो भारत और रूस के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करें कि आर्थिक, सामाजिक क्षेत्र में प्रगति बरकरार रखी जाए. हम एक स्वतंत्र, सम्प्रभु और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’

दिलचस्प बात यह है कि जयशंकर की मॉस्को यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब गुरुवार को तालिबान प्रतिनिधिमंडल भी यहां की यात्रा कर रहा है ताकि यह आश्वासन दिया जा सके कि अफगानिस्तान की जमीन पर बढ़ते उसके नियंत्रण से क्षेत्रीय देशों को उनसे कोई खतरा नहीं है. रूसी समाचार एजेंसी ‘तास’ की खबर के अनुसार तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सोहेल शाहीन ने कहा कि उनकी टीम ‘यह आश्वासन देने के लिए मॉस्को आई है कि हम रूस या पड़ोसी देशों पर हमला करने के लिए किसी को भी अफगान क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे.’

अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता का एक प्रमुख पक्षकार भारत राष्ट्रीय शांति एवं सुलह प्रक्रिया का समर्थन कर रहा है. अमेरिका के तालिबान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से भारत वहां बदल रहे राजनीतिक हालात पर करीबी नजर रख रहा है. भारत ने कहा है कि वह परिवर्तन के दौरान अफगानिस्तान को लगातार समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है.

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