नई दिल्ली | ग्रीन एनर्जी अपनाने की वैश्विक दौड़ में भारत ने आगे बढ़ते हुए पेट्रोल-डीजल के वैकल्पिक जैविक ईंधनों की तलाश तेज कर दी है। इस कड़ी में केंद्र सरकार ने 100 फीसदी एथेनॉल ईंधन वाले दुपहिया, तीन पहिया व चार पहिया वाहनों को बाजार में उतारने का मन बना लिया है। यह दीगर बात है कि देश में एथेनॉल के उत्पादन व उपलब्धता में कमी है। पर सरकार का मानना है कि पर्यावरण अनुकूल जैविक ईंधन सस्ता, सतत, स्वच्छ और टिकाऊ होगा। वहीं, वनस्पति, गन्ना, कृषि अवशेष से जैविक ईंधन बनने के कारण किसानों को आय का नया जरिया मिलेगा। इस दिशा में अभी से प्रयास करने होंगे।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले हफ्ते एथेनॉल के 100 फीसदी बतौर जैविक ईंधन प्रयोग संबंधी प्रारूप को तैयार कर लिया। मंत्रालय की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड कमेटी (एआईएससी) ने ई-100 (एथेनॉल-100) प्रोटोटाइप वाहनों के लिए संरक्षा प्रक्रियात्मक नियम बनाए हैं। इससे वाहन चालक और यात्रियों सहित पंप कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पेट्रोल में 10 फीसदी मिश्रित एथेनॉल के प्रयोग करने पर वाहनों में किसी प्रकार का बदलाव नहीं करना पड़ता है। एथेनॉल की मात्रा 20 फीसदी होने पर वाहन के कुछ कंपोनेट बदले जाते हैं।
एथेनॉल यानी ई-85, ई-95 व ई-100 प्रतिशत होने पर वाहन व इंजन के डिजाइन में बदलाव करना अनिवार्य हो जाता है। इसके बगैर वाहन नहीं चलाए जा सकते। अन्यथा यात्री व वाहन भारी नुकसान होने का खतरा रहता है। अधिकारी ने बताया कि ई-85 से ई-100 वाहनों के नए मानकों में सुरक्षा के उपाय और फ्लेक्स इंजन का प्रावधान किया गया है। आधुनिक फ्लेक्स इंजन के भीतर लगे सेंसर ईंधन भरते समय एथेनॉल की मात्रा बता देंगे। इसके साथ ही इंजन की ट्यूनिंग सेट हो जाएगी। ब्राजील में यह तकनीक है। अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय ने ई-100 वाहनों के प्रारूप को संबंधित हितधारकों के पास सुझाव-आपत्ति के लिए भेजा है।
ई-100 वाहनों पर लगाना होगा खास लेबल
ई-85, 95 व 100 वाहनों की अलग पहचान होगी। इन वाहनों पर 20 मिलीमीटर चौड़े, 40 मिलीमीटर ऊंचे, नौ मिलीमीटर लंबाई के पीले रंग के लेबल लगाने होंगे। जिस पर काले रंग से एथेनॉल के प्रतिशत का जिक्र होगा। ऐसे वाहनों में अग्नि शमन प्रणाली, फायर डिटेक्शन एंड वार्निंग सिस्टम, लीकेज डिटेक्शन सिस्टम आदि का प्रावधान होगा।
परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने 2022 तक एथेनॉल-20 वाले वाहन शुरू करने का लक्ष्य रखा है। ई-85, 95 व 100 वाहनों के आने में समय लगेगा। इसका प्रमुख कारण यह है कि नई तकनीक के कारण वाहन उत्पादन की कीमत अधिक है। इसके अलावा पेट्रोल-डीजल की तर्ज पर एथेनॉल मिश्रित जैविक ईंधन की श्रृंखला देश में उपलब्ध नहीं है। वहीं, वाहन व इंजन की डिजाइन में बदलाव के लिए वाहन निर्माता कंपनियों को फैक्ट्रियों को आधुनिक बनाने में काफी निवेश करना होगा।