कोरोना ने लगभग पूरी दुनिया को लॉक डाउन में डाल दिया, लेकिन इसका कारण था चीन का शहर वुहान, जहां से कोरोना वायरस ने संक्रमण की उड़ान भरी और सारी दुनिया पर छा गया। क्या अमेरिका जैसा ताकवर और क्या पाकिस्तान सरीखा तंगहाल। सभी त्रस्त हैं। लेकिन वही वुहान अब कोरोना से किसी हद तक मुक्त हो चुका है। वहां जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है। कुछ जगह ऐसी है जहां कोरोना दस्तक नहीं दे सका, वहां जीवन वैसे ही है, जो कुछ समय पहले था। वहां स्कूल चुके हैं, ट्रेन चल रही हैं, लोग थोड़ी सावधानी बरतने हुए सामान्य जिंदगी जी रहे हैं।

वुहान को ही लें, अब यहां शॉपिंग मॉल खुल गए हैं। लोग यहां मास्क पहनकर आ रहे हैं।

चीन में बड़ी संख्या में स्कूल खुल चुके हैं, सभी बच्चे मास्क में हैं। class में जाने के लिए तय रास्ते बनाए हैं, क्लास में 30 से ज्यादा बच्चे नहीं बैठ रहे।

चीन में बड़ी संख्या में स्कूल खुल चुके हैं। बच्चे मास्क पहनकर आते हैं। कई स्कूलों में मुफ्त मास्क बांटे जा रहे हैं। दिन में तीन बार बच्चों का तापमान नोट किया जा रहा है। स्कूल आने वाले शिक्षकों का स्वास्थ्य भी रोजाना चेक किया जा रहा है। कैंटीन और क्लासों को कई बार सैनिटाइज किया जा रहा है। स्कूल बसों को इस तरह कस्टमाइज किया गया है कि बच्चों के बीच कम से कम संपर्क हो और वे संक्रमण की आशंका से बचे

हांगकांग में रोबोट कर रहे ट्रेनों की सफाई

हांगकांग में ट्रेनों की सफाई के लिए रोबोट तैनात किए गए हैं। वहीं, ताइवान में 37.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान वाले व्यक्ति को बस-ट्रेन में सफर नहीं करने दिया जा रहा है। प्लेन में यात्रियों को सीट बदलने की इजाजत नहीं है। चीन के वुहान में यात्रियों को मास्क पहनना जरूरी है। क्यूआर कोड के जरिए यात्रियों के रजिस्ट्रेशन चेक किए जा रहे हैं। हर ट्रेन में ‘ट्रेन सेफ्टी क्रू’ है, जो यात्रियों की मदद करता है।

आयरलैंड में दर्शकों को एक सीट छोड़कर बैठाया जा रहा

आयरलैंड में कई थियेटर्स में फिल्म देखने वालों को बीच में एक सीट छोड़कर बैठने को कहा जा रहा है। टिकटों की बिक्री भी इसे आधार बनाकर कम कर दी गई है। अमेरिका के सबसे बड़े सिनेमा चेन्स एमसी थियेटर्स और रीगल सिनेमास हर शो के 50 फीसदी टिकट ही बेच रहे हैं। कई देशों में फिल्म शोज के बीच लंबा गैप रखा जा रहा है, ताकि हर शो के बाद थियेटर साफ करने का पर्याप्त समय मिले। जर्मनी सहित कई देशों में ड्राइव इन थियेटर्स बढ़े हैं, जहां कार में बैठकर खुले मैदान में लगे बड़े पर्दे पर फिल्म देखी जा रही है।

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