विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को ताशकंद में एक क्षेत्रीय सम्मेलन में कहा कि संपर्क निर्माण में विश्वास आवश्यक है क्योंकि यह एकतरफा नहीं हो सकता और संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान अंतरराष्ट्रीय संबंधों में इसके मूलभूत सिद्धांत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संपर्क प्रयास आर्थिक व्यवहार्यता एवं वित्तीय दायित्व पर आधारित होने चाहिए तथा इनसे कर्ज का भार उत्पन्न नहीं होना चाहिए।

जयशंकर की इस टिप्पणी को परोक्ष रूप से चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) के संदर्भ में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोई भी गंभीर संपर्क पहल एकतरफा नहीं हो सकती तथा वास्तविक मुद्दे ‘मनोवृत्ति के हैं, न कि विवाद के।’ विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसे संपर्क से किसी को लाभ नहीं होने वाला जिसमें सिद्धांत की बात की जाए, लेकिन आचरण इसके विपरीत हो।

उल्लेखनीय है कि बीआरआई की वैश्विक निन्दा होती रही है क्योंकि इसके चलते कई देश चीन के कर्ज तले दब गए हैं। जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच संपर्क (कनेक्टिविटी) को विस्तारित करते समय सिर्फ भौतिक अवसंरचना को ही नहीं, बल्कि इसके सभी आयामों को देखने की आवश्यकता है।

सम्मेलन ‘सेंट्रल एंड साउथ एशिया : कनेक्टिविटी’ का आयोजन दोनों क्षेत्रों के बीच संपर्क को मजबूत करने के उद्देश्य से उज्बेकिस्तान की मेजबानी में हुआ है। इसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और लगभग 35 देशों के नेता शामिल हुए।

जयशंकर ने कहा, ‘पर्यटन एवं सामाजिक संबंध एक अच्छा माहौल बनाने में मदद कर सकते हैं। लेकिन कनेक्टिविटी निर्माण में विश्वास आवश्यक है और संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान अंतरराष्ट्रीय संबंधों में इसके मूलभूत सिद्धांत हैं।’ विदेश मंत्री ने कहा कि संपर्क प्रयास आर्थिक व्यवहार्यता एवं वित्तीय दायित्व पर आधारित होने चाहिए तथा इनसे कर्ज का भार उत्पन्न नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘इनसे आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलना चाहिए, न कि कर्ज का बोझ उत्पन्न होना चाहिए। इसके लिए, पारिस्थितिकीय और पर्यावरणीय मानक, साथ ही कौशल एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण आवश्यक हैं। संपर्क संवादात्मक, पारदर्शी और सहभागितापूर्ण होना चाहिए।’

जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान के भीतर और इससे होकर गुजरने वाली विश्वसनीय कनेक्टिविटी के लिए विश्व का अपने शासन में भरोसा होना चाहिए तथा विकास एवं समृद्धि, शांति एवं सुरक्षा के साथ आगे बढ़ने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमारी संपर्क चर्चा, हमारे समय की पूर्वानुमेयता, क्षमता और नियमों के अनुसरण की उम्मीद करती है।’

विदेश मंत्री ने कहा कि आर्थिक वृद्धि सार्वभौमिक रूप से तीन ‘C’- ‘कनेक्टिविटी (संपर्क), कॉमर्स (वाणिज्य) और कांटैक्टस (संबंधों)’ से संचालित होती है तथा क्षेत्रीय सहयोग एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए इन तीनों को साथ आने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘हमारे सामने चुनौती यह है कि राजनीति, निहित स्वार्थ और अस्थिरता इसके क्रियान्वयन में व्यापक रूप से बाधक हो सकते हैं। हमारे अनुभव से सबक भी मिले हैं जिन्हें समझने की आवश्यकता है।’

जयशंकर ने कहा, ‘वास्तविक मुद्दे मनोवृत्ति के हैं, न कि विवादों के। ऐसे संपर्क से कोई लाभ नहीं मिलने वाला जिसमें सिद्धांत की बात की जाए, लेकिन आचरण इसके विपरीत हो। व्यापार अधिकारों और दायित्वों का एकतरफा मत कभी काम नहीं कर सकता। कोई भी गंभीर संपर्क पहल एकतरफा नहीं हो सकती।’

विदेश मंत्री ने ईरान में चाबहार बंदरगाह को क्रियान्वित करने के लिए 2016 से भारत द्वारा उठाए गए व्यावहारिक कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘यह मध्य एशियाई देशों के लिए समुद्र तक एक सुरक्षित, व्यवहार्य और निर्बाध पहुंच उपलब्ध कराता है। इसकी क्षमता अब स्पष्ट रूप से साबित हो चुकी है। हमारे पास चाबहार बंदरगाह को उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) में शामिल करने का प्रस्ताव है।’

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