महराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत का अनुसरण कर रही है। एक समय था जब हम देखते थे कि किसी मामले में दुनिया क्या कर रही है। आज दुनिया देख रही है कि भारत क्या कर रहा है। यह बदलाव नेतृत्व की वजह से है।
सीएम योगी ने कहा कि जो बात देश पर लागू होती है वही संस्थाओं पर भी लागू होती है। हम पिछलग्गू बनेंगे या अपने कृतित्व से दूसरे के लिए प्रेरक। यह हम को ही तय करना है। संस्थाओं को भी ऐसी संकल्प के साथ हर क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए। देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू किया है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के पदाधिकारियों से उन्होंने कहा कि वरिष्ठ शिक्षकों की टीम लगाएं और उन चीजों को देखें। शिक्षा के केवल सैद्धांतिक पक्ष नहीं बल्कि व्यवहारिक पक्ष को भी ध्यान में रखा जाए।
सीएम योगी ने कहा कि कोरोना काल में यह कार्यक्रम कराना बड़ी चुनौती था। लेकिन महराणा प्रताप शिक्षा परिषद के पदाधिकारियों और इससे जुड़े प्राचार्यों, शिक्षकों और छात्र-छात्राओं ने दिखा दिया कि हर चुनौती एक नया अवसर भी देती है। सीएम योगी ने कहा कि यह वर्ष महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी के 125 वें जन्म जयंती का वर्ष भी है।
सीएम ने महाराणा प्रताप इंटर कालेज में बने मंच के निर्माण लिए कालेज के प्राचार्य और उनकी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमारे पूरे जीवन को पाप और पुण्य के दायरे में बांधकर रखा है। यह मान्यता है कि हम अच्छा करेंगे तो अच्छा फल मिलेगा। बुरा करेंगे तो बुरा फल मिलेगा। बच्चों को मार्गदर्शन देते हुए सीएम योगी ने कहा कि यदि कोई अपने जीवन को अच्छे कर्मों से आगे बढ़ाता है तो वह अपने से जुड़े सभी व्यक्तियों, संस्थाओं के लिए भी गौरव का विषय बनाता है। लेकिन यदि आपके कृतित्व से यदि आपका जीवन आपके लिए बोझा बन जाए तो फिर समाज और देश को भी वह बोझा ही लगता है। संस्थाओं के साथ भी यही बात लागू होती है। यदि किसी संस्था के प्राचार्य और उससे जुड़े लोग संस्था को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो संस्था यशस्वी बनेगी।
इस मौके बतौर मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि ज्ञान को लेकर भारत के राष्ट्र जीवन में ऋगवैदिक काल एवं उसके पहले से बड़ी प्यास रही है। यह ज्ञान साधारण ज्ञान नहीं है कि सभी जिलों के नाम जान जाए इसे हमारे पूर्वजों ने तत्व ज्ञान कहा। जो तत्व ज्ञानी है, उसकी अभिव्यक्ति कैसी होती है, गुरु गोरखनाथ की वाणी से दो शब्द प्रयोग कर रहा हूं। अलेख लेखंत अदेख लेखंत, ज्ञानी जो दूसरे देख नहीं पाते, उसे देख लेता है। ज्ञानी जो दूसरे लोग लिख नहीं पाते वह लिख लेता है। ज्ञानी जो दूसरे लोग स्पर्स नहीं पाते उसे स्पर्श कर लेता है। इस ज्ञान परम्परा के चलते भारत सारी दुनिया का गुरु कहा जाता था। इस ज्ञान परम्परा को लेकर भारत के लोगों में गर्व है। स्वतंत्रता के बाद यह आग्रह घटता चला गया और ऐसे पढ़े लिखे समुदायक का विकास हुआ जो भारतीय धर्म संस्कृति को हिकारत के भाव से देखता था। यहां के छ्द प्रगतिशील विद्यानों ने दुनिया को बताया कि भारत में प्राप्त किए जाने योग्य कोई ज्ञान धारा नहींं है। दर्शन भाववादी है जिसमें तर्क नहीं है। लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो अपनी संस्कृति को पोषित कर रहे थे। इसका प्रभाव भी पड़ा। गुरू गोरखनाथ की वाणी में संस्कार और ईश्वर दोनों की सिद्धि की बात है।
अयोध्या से आए दिगंबर अखाड़ा अयोध्या के महंत सुरेंद्र दास ने माइक पर आते ही जय श्रीराम का नारा लगाया। महाराणा प्रताप का स्मरण करते हुए महंत सुरेश दास ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के निर्माण और विकास के लिए तीन चीजों शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कार आवश्यक है। महंत दिग्विजयनाथ ने शिक्षा और स्वास्थ्य को सर्वाधिक प्रमुखता दी। जल शक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह ने कहा कि आज उनके जीवन का सबसे बड़ा दिन है। मुझे गौरव की अनुभूति होती है कि आदर्श मुख्यमंत्री के कैबिनेट में मुझे भी काम करने का अवसर मिला है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, राज्य आपदा प्रबंधक के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल आरपी शाही, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह, योगी मिथिलेश नाथ, पूर्व कुलपति प्रोफेसर राम अचल सिंह, कुलपति सुरेंद्र दूबे, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, महामण्डेश्वर महंत संतोष दास और प्रमथनाथ मिश्र मौजूद रहे। सभी अतिथियों को उत्तरीय एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ को उत्तरीय प्रदान कर किया। प्राचार्य शैलेंद्र प्रताप सिंह ने ह्दय नारायण दीक्षित का सम्मान किया। आज के कार्यक्रम में छह सौ से अधिक छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया।