उत्पीड़न के मारे ये बेचारे आश लगाये हैं भारत से

देश के बंटवारे का जिन्होंने दंश झेला और किसी मजबूरी में सीमा पार ही रह गए, आज वहां कैसे जीवन व्यतीत कर रहे हैं, यह सुनकर शायद पत्थर भी द्रवित हो जाय। अपने यहां सीएए के खिलाफ कतिपय वोटों के सौदागर अपनी रोटियां सेंकने में लगे हैं वहीं पड़ोसी राष्ट्र में वहां के अल्पसंख्यक किस माहौल में सांस ले रहे हैं यह जान-सुनकर भी मुंह मोड़े चल रहे हैं। अल्पसंख्यक वहां अपनी रोजी रोटी की चिंता से ज्यादा बहन-बेटियों की आबरू बचाने की चिंता में गल रहे हैं। आये दिन लड़कियों का अपहरण-धर्म परिवर्तन जबरन कराने की घटना से वहां के अल्पसंख्यक हिन्दुस्तान की ओर आशाभरी निगाह लगाये बैठे हैं।

पड़ोसी देश में हिन्दू परिवारों पर जुल्म की अब तो हद दर्जे की इंतेहा हो रही है। कुछ पीड़ित हिंदू परिवार भारत पहुंचे हैं जो पाकिस्तान जाने के नाम से ही कांप उठते हैं। इनका कहना है कि पाकिस्तान में उनकी बहू-बेटियों को सरेआम उठा लिया जाता है। जबरन उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है और जबरदस्ती उनसे शादी करा दी जाती है और उनके बच्चों को ना तो स्कूलों में पढ़ने दिया जाता है, ना ही हिन्दुओं को नौकरी करने दी जाती है। पड़ोसी के जुल्म से त्रस्त ऐसे ही 50 हिन्दू परिवार अटारी बॉर्डर के रास्ते हाल ही भारत आए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नागरिकता देने की अपील कर रहे हैं। वीजिटर वीजा पर भारत आए इन लोगों का कहना है कि वे पाकिस्तान में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं और सीएए लागू होने के बाद वे भारतीय नागरिकता मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।  दिल्ली सिक्ख गुरूद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष अकाली नेता मनजिंदर सिंह सीमा पर धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान से भागने का दावा करने वाले चार परिवारों को लिवाने के लिए मौजूद थे। सीमा अधिकारियों ने दावा किया कि पिछले महीने की तुलना में पाकिस्तान से आने वाले हिंदूओं की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। सीमा पार कर भारत आने वाले अधिकांश यात्री सिंध और कराची क्षेत्र के थे। उनमें से कुछ के पास सामान था और वे कह रहे थे कि वे भारत में आश्रय ढूंढेंगे। एक पाकिस्तानी हिंदू ने कहा कि नए नागरिकता कानून के लागू होने के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदू भारतीय नागरिकता मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनमें से अधिकांश अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए राजस्थान आ रहे हैं। कुछ महिलाओं ने सीमा पर मौजूद लोगों को बताया कि पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का अपहरण अब रोज की बात हो गई है और किसी भी परिवार ने कट्टरपंथियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत करने की हिम्मत नहीं की क्योंकि पुलिस तो और ज्यादा उत्पीड़न करती है।

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