प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुलाई बैठक में हिस्सा लेने से पहले जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर से पाकिस्तान से वार्ता और अनुच्छेद 370 की बहाली का राग अलापा है। उन्होंने कहा है कि अगर सरकार दोहा में तालिबान से बात कर सकती है तो वह अपने लोगों से बात क्यों नहीं कर सकती। इतना ही नहीं महबूबा ने यह भी कहा कि कश्मीर में एक साधारण आम आदमी को भी आतंकवादी की तरह देखा जाता है।
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में 370 को बहाल करने तक मेरा संघर्ष खत्म नहीं होगा। मेरा संघर्ष कश्मीर समस्या के समाधान के लिए होगा। गौरतलब है कि पिछले साल महबूबा मुफ्ती को अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। महबूबा मुफ्ती को 434 दिन बाद रिहा किया गया था। इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने 370 की फिर से बहाली के लिए मुहिम शुरू की है।
महबूबा मुफ्ती ने एक दैनिक अंग्रेजी अखबार से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा, ‘नरेंद्र मोदी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि वह देश के प्रधानमंत्री हैं और मैं अपना भरोसा प्रधानमंत्री पद पर दिखा रही हूं। अगस्त 2019 में जो भी हुआ वह अस्वीकार्य है। राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को असंवैधानिक तौर पर हटाया गया। यह एक पुल था जिसके रास्ते में हमारी भावनाएं बाकी भारत के साथ जुड़ी थीं। हम इससे कम पर कुछ नहीं मानेंगे। हम अनुच्छेद 370 की बहाली चाहते हैं।’
महबूबा ने आगे यह भी कहा कि यह देश बीजेपी के घोषणापत्र से नहीं बल्कि संविधान से चलेगा। उन्होंने कहा, ‘मैं स्पष्ट बता रही हूं कि अगर अनुच्छेद 370 और 35ए बहाल नहीं किए जाते तो मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी। यह तय है।’
महबूबा ने कहा, ‘आप अगर अपना मुंह खोलेंगे तो आप पर नागरिक सुरक्षा कानून के तहत केस दर्ज किया जाएगा। अगर सरकार तालिबान से बात करने दोहा जा सकती है तो फिर वह अपने लोगों से बात क्यों नहीं कर सकती? कश्मीर में, एक आम आदमी के साथ भी आतंकवादियों जैसा व्यवहार किया जाता है। अगस्त 2019 में जो हुआ उस फैसले को वापस लेना चाहिए।’
बता दें कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर के इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था।