नई दिल्ली। राज्यसभा से टीएमसी सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद दिनेश त्रिवेदी ने अब बीजेपी में जाने के खुले संकेत दिए हैं। पूर्व रेल मंत्री ने कहा कि बीजेपी में शामिल होने के लिए उन्हें किसी आमंत्रण की जरूरत नहीं है। यही नहीं भगवा दल में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि मैं बीजेपी में जाता हूं तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
पहले से ही उनके बीजेपी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन इस बयान से उन्होंने इस बात के पुख्ता संकेत दिए हैं। एनडीटीवी से बातचीत करते हुए दिनेश त्रिवेदी ने कहा, ‘दिनेश त्रिवेदी को निमंत्रण का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। वे सभी मेरे दोस्त हैं। आज से नहीं है बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह से मेरी पुरानी दोस्ती है। अमित भाई कई सालों से मेरे अच्छे मित्र हैं।’
दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि मैं जा सकता हूं। मैं कभी भी बीजेपी में जा सकता हूं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। यदि वह मेरा स्वागत कर रहे हैं, जैसा कि मैंने सुना है तो मेरे लिए यह खुशी की बात है। यदि हर जगह उन्हें लोग स्वीकार कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि देश के लिए वह कुछ अच्छा कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस पर कॉरपोरेट के हावी होने की बात करते हुए दिनेश त्रिवेदी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर भी निशाना साधा।
दिनेश त्रिवेदी ने कहा, ‘हमने साथ मिलकर पार्टी बनाई थी। ममता बनर्जी, अजित पांजा, मुकुल रॉय और मैं साथ थे। सब मिलकर पार्टी की आत्मा थे। यहां तक कि उस दौर में 5,000 रुपये के दिल्ली के टिकट के लिए तरसते थे। आज वह आत्मा चली गई है। यदि आप किसी कंसल्टेंट को 100 करोड़ रुपये देते हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि हम गरीबों की पार्टी हैं तो यह गलत है।’
त्रिवेदी ने कहा कि ममता बनर्जी को वाम दलों को हराने के लिए सलाहकार की जरूरत नहीं थी? गांधी को कभी किसी सलाहकार की आवश्यकता नहीं थी? मैं इसके महत्व को कम नहीं कर रहा हूं, लेकिन वे पार्टी के मालिक नहीं हैं, वे पार्टी के मालिक बन गए हैं और पार्टी से बड़े हो गए हैं।
ममता बनर्जी के साथ संवादहीनता के सवाल पर दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि निश्चित तौर पर बंगाल के मुख्यमंत्री को यह पता था कि वह क्या सोचते हैं। वह यह भी जानती थीं (ममता बनर्जी) की मैं इस तरह की संस्कृति का समर्थन नहीं करता…लेकिन बात करने का कोई अवसर नहीं था। उदाहरण के लिए किसान आंदोलन के मुद्दे पर मुझे नहीं लगता कि हम पांचों ने एक साथ मिलकर कहा ठीक है क्या करना चाहिए…यह सिर्फ घर के कुएं पर जाने जैसा था…इसलिए हर कोई घर के कुएं तक गया। ऐसा नहीं हैं।
उन्होंने आगे कहा कि राजनीति में आप बॉस और कर्मचारी (कार्यकर्ता) नहीं हो सकते। वह हमेशा कहती हैं कि मैं अपना सिर ऊपर रखना चाहती हूं। हम अपने सिर को नीचे नहीं रखना चाहते हैं… हमें अपना भी सिर ऊपर रखने की जरूरत है।