देश के साथ ही धर्म नगरी काशी में भी कोरोना की दूसरी लहर का भीषण कहर जारी है। ऐसे में तमाम अस्पताल ऑक्सीजन की किल्लत का सामना भी कर रहे हैं। ऐसे में ऑक्सीजन सिलेंडर की भी बड़े पैमाने पर कमी सामने आ रही है। इसकी जगह ऑक्सजीन कंसंट्रेटर की मांग बढ़ रही है, जिसका खास तौर पर होम आइसोलेशन में मौजूद मरीजों और ऑक्सीजन की कमी का सामने कर रहे अस्पतालों में इस्तेमाल किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि ऑक्सजीन कंसंट्रेटर क्या होता है और यह कैसे काम करता है।

यह कैसे काम करता है ?

वाराणसी के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ राणा विनोद सिंह ने बताया कि ऑक्सजीन कंसंट्रेटर एक मेडिकल डिवाइस है, जो आसपास की हवा से ऑकसीजन को एक साथ इकट्ठा करता है। पर्यावरण की हवा में 78 फीसदी नाइट्रोजन और 21 फीसदी ऑक्सीजन गैस होती है। दूसरी गैस बाकी 1 फीसदी हैं। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर इस हवा को अंदर लेता है, उसे फिल्टर करता है, नाइट्रोजन को वापस हवा में छोड़ देता है और बाकी बची ऑक्सीजन पर काम करता है।

यह ऑक्सीजन 90-95 फीसदी शुद्ध होती है। कंसंट्रेटर्स में प्रेशर वाल्व से सप्लाई रेगुलेट होती है, जो 1 से 10 लीटर प्रति मिनट तक की रेंज होती है। WHO द्वारा जारी 2015 में जारी एक रिपोर्ट में कंसंट्रेटर को लगातार काम में लेने के मुताबिक डिजाइन किया गया है और यह दिन में 24 घंटे, हफ्ते में 7 दिन और 5 साल तक या ज्यादा की ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकता है।

क्या इससे पैदा हुई ऑक्सजीन शुद्ध होती है ?

वहीं जानकारों का मानना है कि यह थोड़े और मध्य लक्षणों वाले कोविड-19 मरीजों के लिए पर्याप्त शुद्ध है, जिनका ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 85 फीसदी या उससे ज्यादा का होता है। हालांकि, यह आईसीयू मरीजों को सुझाव के तौर पर नहीं दिया जाता।

कंसंट्रेटर को कई ट्यूब के साथ अटैच किया जा सकता है, जिससे एक समय पर इससे दो मरीजों को मदद मिल सकती है। लेकिन जानकार इसकी सिफारिश नहीं करते, क्योंकि इससे क्रॉस-इन्फेक्शन का खतरा रहता है।

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