दम पति शर्मा

सोमवार को ईद पर फेसबुक मे लिखी पोस्ट पर मिली घृणास्पद प्रतिक्रियाओं ने मुझे हिला कर रख लिया। मैने उस पोस्ट में परमात्मा से यही इल्तिजा की थी कि अगले बरस की ईद कोरोना मुक्त और उमंग से भरी रहे।

देश के बहुसंख्यक युवाओं को मैने अपने जीवन में इतना उद्वेलित, इतना क्रुद्ध और इतना आक्रोश से भरा कभी नहीं देखा था। लेकिन यह गुस्सा अकारण नहीं, इससे भी कोई इनकार नहीं कर सकता।

पिछले दिनो जिस तरह की घटनाएं हुईं, वे देश की एकता और अखंडता पर करारी चोट कर गई । चाहे वे नफरत भरे बयान ओवैसी और उनके जैसे तथाकथित नेताओं के रहे हों अथवा जेएनयू और जामिया मिलिया में खुले आम देश विरोधी उकसाऊ नारे और उग्र प्रदर्शन , सीएए के विरोध मे शाहीन बाग पर सडक रोक कर महीनो तक चला धरना, शरजील इमाम जैसों का सार्वजनिक तौर पर असम को देश से मुर्गे की गर्दन की तरह काट कर अलग करने का ऐलान, हिन्दुओं को गोमूत्र पीने वाले जाहिल बताना, इस्लाम और कुरान को वैज्ञानिक करार देना, पंद्रह मिनट के लिए सेना पुलिस को हटा कर देखने की चुनौती, बीस करोड आपके सौ करोड पर भारी जैसे बयान, दिल्ली में भडके दंगों मे दिखी निर्ममता, तबलीगी जमात प्रमुख मौलाना साद का कोरोना को एक साजिश बताना, जमातियो की अभद्रता, मुस्लिम इलाकों में डाक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियो पर हमले, राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल पर एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता के मंत्रोच्चारण के समय कान से मुस्लिम एनालिस्ट का ईयर फोन निकाल देने आदि ने देश को जो संदेश दिया, उसी के रिएक्शन मे इस्लाम कुबूल कर लेने और मुझे मुसलमान तक कहा गया। जब उनको यह समझाने की चेष्टा करनी चाही कि इसके लिए सभी मुसलमानों को एक तराजू पर रखना अनुचित है, तो जवाब मे कहा गया कि सभी वही हैं।

उनके इस अतिरेक से उनकी अज्ञानता पर तरस भी आया। उनको शायद नहीं पता कि इसी रमजान के महीने में काबुल के शिया वर्ग के एक जच्चा बच्चा अस्पताल पर हमला कर उन नवजात शिशुओं को जिन्होंने अभी पूरी तरह से आख भी नहीं खोली थी उनकी माताओ सहित हलाक करने वाले आतंकियों ने यह हमला किया था। मस्जिदों मे नमाज अदा करते शियाओं को पाकिस्तान आदि कट्टर मुस्लिम देशों में अल्लाह हो अकबर के नारे के साथ बम से उडा देना, बहाई समुदाय को गैर मुस्लिम करार देना, ये भी नहीं जानते शायद। यही नहीं क्या उनको इसकी जानकारी भी नहीं कि राम मंदिर प्रकरण पर भारत के शिया वर्ग ने खुला समर्थन दिया था ?

भगवान कृष्ण ने गीता मे कहा है कि जो मूर्ख है और जिसे नहीं मालूम कि वह क्या कर रहा है, उन्हें क्षमा कर देना चाहिए। मुझे मुसलमान कहने वालों को मैने माफ कर दिया है। लेकिन साथ ही देश के मुस्लिम धर्मगुरुओ से भी आग्रह है कि वे आगे आएं और हिन्दुओं के खिलाफ विष वमन करने वालों का बेखौफ़ होकर प्रतिकार करें। यह निर्विवाद है कि भारतीय मुस्लिम जमात का डीएनए हिन्दू है। सभी के पूर्वज यही थे। ठीक है कि कालान्तर मे उनकी आस्था और पूजा पद्धति बदल गयी मगर संस्कृति से वे विमुख नहीं हो सकते। आज का बहुसंख्यक युवा वर्ग मुखर है और उसकी सहनशीलता अब जवाब देने लगी है। इसलिए समय आ गया है कि मौलाना वहीदुद्दीन जैसी सोच वाले आगे आएं और कौम का सही मार्गदर्शन करें। ध्यान रहे कि कहीं देर न हो जाए। क्योंकि यदि यह कहूँ कि देश सिविल वार की ओर बढ रहा है तो गलत नहीं होगा। उसको रोकने की जिम्मेदारी भी उनकी ही है। जो लोग पंद्रह मिनट की बात करते हुए डीग हांक रहे हैं, वे नहीं जानते कि यदि ऐसा हो गया तो उनका हश्र क्या होगा ?

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