केन्द्र की मोदी सरकार एक अक्टूबर से नया श्रम कानून लागू कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो हफ्ते में सिर्फ चार दिन ही काम करने होंगे। वहीं, इसे नए कानून की वजह से पीएफ बैलेंस भी बढ़ेगा। पहले सरकार ये नियम 1 अप्रैल को ही लागू करने वाली थी लेकिन राज्यों की सहमति ना मिलने के कारण इसे 1 अब अक्टूबर से लागू किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि अगर नया श्रम कानून लागू हुआ तो इससे कर्मचारी कैसे प्रभावित होंगे। 

भारत सरकार के श्रम एंव रोजगार मंत्रालय के अनुसार कर्मचारियों को 9 के बजाए 12 घंटे की शिफ्ट करनी पड़ सकती है। जिसमें हर पांच घंटे पर आधा घंटा का ब्रेक मिलेगा। वहीं, सप्ताह में 48 घंटे काम करना होगा। अगर कोई व्यक्ति रोजना 8 घंटे काम करता है तो उसे सप्ताह में 6 दिन काम करना होगा। वहीं, दिन में 12 घंटे काम करने वाले व्यक्ति को सप्ताह तीन छुट्टी मिलेगी। 

नए कानून के मुताबिक सैलरी स्ट्रक्चर में भी बदलाव आएगा। इस कानून के मुताबिक कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 50 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो जहां प्रोविडेंट फंड बढ़ जाएगा वहीं, इन हैंड सैलरी में कटौती घटकर मिलेगी। 

नए श्रम कानून के अनुसार देश भर के कर्मियों को अब मिनिमम सैलरी देनी होगी। इसे खासतौर पर प्रवासी मजदूरों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इससे कर्मियों को सोशल सिक्योरिटी मिलेगी। देश भर में आर्गेनाइज्ड और अनआर्गेनाइज्ड सेक्टर के कर्मचारियों को इम्प्लाॅयज स्टेट इंश्योरेंस कवर भी मिलेगा। साथ ही इससे नए कानून में महिलाओं को नाइट शिफ्ट करने की भी अनुमति मिलगी। 

हमेशा लोगों को अपनी रिटायरमेंट की चिंता सताती रहती है। अब इस नए कानून की वजह से पीएफ बढ़ेगा। नियमों के अनुसार नियोक्ता को भी कर्मचारी के बराबर पैसे जमा करना होता है। ऐसे पीएफ बैलेंस बढ़ने जा रहा है। जहां इससे एक तरफ कर्मचारियों को सीधा फायदा होगा। वहीं, दूसरी तरफ कंपनियों पर बोझ बढ़ेगा। 

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