औरेया। उत्तर प्रदेश के जनपद औरेया में अदालत ने एक युवक के खिलाफ फर्जी बलात्कार और एससी एसटी एक्ट दर्ज करवाने के मामले में महिला के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने महिला को मिले मुआवजे की राशि की वसूली और मामले के विवेचक तत्कालीन सीओ सीओ चौ. रमेश सिंह के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा है।

थाना दिबियापुर में ग्राम हरचन्दपुर निवासी एक युवती ने गाँव के ही लल्लू पुत्र नरेश सिंह फौजी के खिलाफ मारपीट, पॉक्सो एक्ट व एससी/एसटी एक्ट का मामला दर्ज करवाया था। युवती का आरोप था कि 26 जून 2016 को समय चार बजे वह खेतों पर बकरी चराने गई थी। तभी लल्लू वहां आ पहुंचा और उसने छेड़छाड़ की। युवती ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 में मजिस्ट्रेट के समय घटना को सही बताया।

वहीं इस मामले में विशेष न्यायाधीश प्रथम कान्त ने आरोपित लल्लू पुत्र नरेश सिंह निवासी हरचन्दपुर दिबियापुर को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपित को इस प्रकरण में झूठा फंसाने पर युवती एससी-एसटी एक्ट के तहत मिलने वाला मुआवजे की अधिकारी नहीं है। कोर्ट ने युवती से वसूली के लिए निर्णय की एक प्रति जिलाधिकारी भेजी है। पीड़िता ने स्वीकार किया कि प्रार्थना पत्र लोगों के कहने पर आरोपित लल्लू को फंसाने के लिए दिया था तथा 164 के बयान भी झूठे दिए थे।

अदालत ने यह भी माना है कि युवती ने युवक को फंसाने के लिए अपने को गलत ढंग से नाबालिग दिखाया। जबकि उसकी जन्म तिथि 20 वर्ष 09 माह थी। लेकिन विवेचक ने पीड़िता की आयु के संबंध में कोई साक्ष्य संकलित नहीं किया और एफआइआर में संबंधित की उम्र 15 वर्ष को सही मानकर विवेचना कर डाली। कोर्ट ने पुलिस क्षेत्राधिकारी स्तर के विवेचक की त्रुटि को गंभीर मानकर उसके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई पुलिस अधीक्षक औरैया को लिखा है।

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