6 बार सांसद, तीन बार मुख्यमंत्री, ऐसा रहा तरुण गोगोई का सियासी सफर

असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का सोमवार शाम निधन हो गया. उनकी उम्र 84 साल और 8 महीने की थी.। वह अस्पताल में भर्ती थे। उन्होंने गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में सोमवार शाम अंतिम सांस ली । उनकी स्थिति पहले से ही नाजुक चल रही थी । यही वजह है कि राज्य के सीएम अपना डिब्रूगढ़ दौरा बीच में ही छोड़ गुवाहाटी वापस लौट आए थे. ताजा जानकारी के मुताबिक राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल जीएमसीएच पहुंच चुके हैं ।

असम के पूर्व सीएम के निधन पर देश के तमाम राजनेताओं ने ट्वीट कर संवेदना जाहिर की है और अपना दुख जताया है. पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, “तरुण गोगोई जी एक लोकप्रिय नेता और वयोवृद्ध प्रशासक थे, जिन्हें असम के साथ-साथ केंद्र में भी राजनीतिक अनुभव था. उनके निधन से दुखी हूं । दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं. शांति ।

राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, “तरुण गोगोई एक सच्चे कांग्रेसी नेता थे । उन्होंने अपना जीवन असम के सभी लोगों और समुदायों को एक साथ लाने के लिए समर्पित कर दिया । मेरे लिए, वह एक महान और बुद्धिमान शिक्षक थे । मैं उन्हें बहुत प्यार करता था और उनका सम्मान करता था । मैं उन्हें मिस करूंगा. गौरव और परिवार के प्रति मेरा प्यार और संवेदना ।

इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री ने अपना दौरा कैंसिल करने की जानकारी ट्वीट कर दी थी । उन्होंने कहा था कि तरुण गोगोई मेरे पिता समान हैं । मैं उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रार्थना करता हूं. उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘बीच में सारे कार्यक्रम रद कर डिब्रूगढ़ से गुवाहाटी जा रहा हूं ताकि तरुण गोगोई और उनके परिवार के साथ रह सकूं क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री की तबीयत बिगड़ गई है । तरुण गोगोई साल 2001 से 2016 तक असम के मुख्यमंत्री थे ।

हालांकि उन्हें 25 अक्टूबर को डिस्चार्ज कर दिया गया था । लेकिन इसके बाद उनकी तबीयत फिर बिगड़ी और दो नवंबर को उन्हें फिर से GMCH में भर्ती कराया गया । उनके परिवार में पत्नी डॉली गोगोई, बेटी चंद्रिमा और एक बेटा गौरव हैं, जो कांग्रेस सांसद भी हैं ।

चुना था माता-पिता से अलग करियर

2001 से 2016 तक तीन बार असम के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई का जन्म 1 अप्रैल 1936 को असम के जोरहाट जिले के रंगाजन टी एस्टेट में में हुआ था ।
तरुण गोगोई के पिता डॉ कमलेश्वर गोगोई रंगजन टी एस्टेट में एक मेडिकल प्रैक्टिशनर थे । वहीं उनकी मां उषा गोगोई कवियत्री थीं । वो प्रसिद्ध कवि गणेश गोगोई की छोटी बहन थीं, इसके अलावा उन्हें अपने कविता संग्रह, हियार सामर (दिल का खजाना) के लिए खास पहचान मिली थी । तरुण गोगोई ने अपने माता-पिता से अलग अपना करियर एक वकील के तौर पर शुरू किया । उन्होंने साल 1963 में असम की गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से एलएलबी की । वो सामाजिक कार्यों और राजनीति में भी गहरी रुचि रखते थे ।

30 जुलाई 1972 को, गोगोई ने डॉली गोगोई से विवाह किया । डॉली ने जीव विज्ञान से पढ़ाई की थी । उनके एक बेटे गौरव गोगोई और बेटी चंद्रमा गोगोई हैं ।

तरुण गोगोई की शुरुआती पढ़ाई रंगाजन निम्न बुनियादी विश्व विद्यालय से हुई थी. इसके बाद उन्होंने कक्षा चौथी तक जोरहाट मदरसा स्कूल से की. साल 1949 में वह जोरहाट सरकारी हाई स्कूल चले गए, जहां से उन्होंने 10वीं पास की । उन्होंने जोरहाट जिले के ही जगन्नाथ बरूआ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की ।

ऐसे बने राजनीति के माहिर खिलाड़ी

तरुण गोगोई पहली बार 1968 में जोरहाट के म्युनिसिपल बोर्ड के सदस्य चुने गए ।

-गोगोई 6 बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सांसद रह चुके हैं. साल 1971 से 85 तक वह जोरहाट लोकसभा सीट से जीते. इसके बाद 1991 से 96 और 1998-2002 तक उन्होंने कलियाबोर सीट का प्रतिनिधित्व किया. फिलहाल इस सीट से उनके बेटे गौरव गोगोई सांसद हैं ।

-तरुण गोगोई का कद उस वक्त बढ़ा जब साल 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अगुआई में वह ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के जॉइंट सेक्रेटरी चुने गए ।साल 1985 से 1990 तक वह पार्टी के महासचिव भी रहे. तब प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे ।जब पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने उनकी कैबिनेट में (1991-96) खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री का कार्यभार संभाला ।

-वह 1986 से 90 तक असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे. इसके बाद 1996 में वह दोबारा इस पद के लिए चुने गए ।

-गोगोई चार बार विधायक भी रहे ।उन्होंने सबसे पहले मार्गेरिटा विधानसभा क्षेत्र से (1996-98) जीत हासिल की. इसके बाद 2001 से वह तिताबर विधानसभा सीट से चुने जाते रहे ।

-साल 2001 में हुए विधानसभा चुनावों में जब कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की तो तरुण गोगोई को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद रिकॉर्ड तीन बार वह लगातार सीएम चुने गए ।

-लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के बाद उनके नेतृत्व पर सवाल उठने लगे. असम की 14 लोकसभा सीट से कांग्रेस कुल 3 ही जीत पाई. जबकि बीजेपी ने 7 सीटें जीतीं, जो असम से किसी भी पार्टी द्वारा लोकसभा चुनाव में जीती गईं सबसे ज्यादा सीटें हैं ।

-चुनाव से पहले गोगोई ने ऐलान किया था कि अगर कांग्रेस 14 सीटों में से 7 पर जीत हासिल नहीं कर पाई तो वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे । जुलाई 2014 में उन्होंने संकेत दे दिया था कि वह 2016 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व नहीं करेंगे ।

बागवानी था पसंदीदा काम

असम राज्य में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाने वाले तरुण गोगोई ने अपने बिजी समय में से एक खास वक्त बागवानी और किताबों को दिया।उन्हें पढ़ने का हमेशा शौक रहा। इसके अलावा खेलों के प्रति भी उनकी रुचि रही। वो टेनिस और फुटबॉल जैसे गेम पसंद करते थे. वह अखिल असम मोइना परिजात, बच्चों के संगठनों और भारत युवक समाज के पूर्व कोषाध्यक्ष रह चुके हैं। हाल ही में एनआरसी को लेकर भी वो खूब चर्चा में रहे। इसके विरोध में उन्होंने याचिका डाली थी और 36 साल बाद फिर से काला कोट पहनकर कोर्ट पहुंचने को लेकर खूब चर्चा बटोरी थी।

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