विशेष संवाददाता

मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के खासमखास और समाजवादी पार्टी के दिग्गज आजम खां की मुसीबतों का दौर अभी खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। अखिलेश यादव सरकार में हुई जल निगम भर्ती घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने आजम खां को दोषी माना है। वैसे पहले से ही अपनी तुनकमिजाजी के लिए मशहूर आजम खां गिरफ्तारी के बाद भी उससे उबर नहीं पाये हैं। अब भी वह कभी गाड़ी की खिड़की के पास वाली सीट पर बैठने की जिद पकड़ लेते हैं, तो कभी अपेक्षित सहयोग न करने के लिए अपनी ही पार्टी को कोसने लगते हैं। उनका आरोप है कि, उनके मुस्लिम होने के कारण सपा पूरी शिद्दत से उनका साथ नहीं दे रही है।

853 जेई व 335 लिपिकों की भर्तियां निरस्त

आजम खां के नगर विकास मंत्री के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश जल निगम में 853 जूनियर इंजीनियर व 335 लिपिकों की हुई भर्तियों को निरस्त कर दिया गया है। इससे पहले 122 सहायक अभियंताओं की भर्तियों को निरस्त किया गया था। एसआईटी जांच में भर्तियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाये जाने पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोमवार को देर रात भर्ती निरस्त करने संबंधी आदेश जारी कर दिया। आजम खां पर आरोप है कि, उनके कार्यकाल में 122 सहायक अभियंता, 853 अवर अभियंता समेत कुल 1300 पदों की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता बरती गयी। आजम खां पर आरोप है कि उन्होंने 2016-17 में जल निगम के भर्ती बोर्ड का चेयरमैन रहते 1300 पदों पर भर्ती में गड़बड़ी की थी। जांच के बाद मामला सामने आने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने जेई और क्लर्क की भर्तियों को रद कर दिया था।

प्रदेश में 18 जून 2016 को जल निगम ने लिपिक व आशुलिपिक के पदों पर सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था। जिसके अनुसार 335 लिपिक व 63 आशुलिपिक पदों पर लिखित परीक्षा क्रमश: गत पांच से सात अगस्त 2016 के मध्य मुम्बई की मेसर्स एपटैक कंपनी ने आयोजित की थी। कम्प्यूटर बेस्ड डाटा मेंं सामान्य परीक्षा के तुरंत बाद आंसर सीट को वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है, ताकि अभ्यर्थी अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर सकें, परंतु लिखित परीक्षा के बाद वेबसाइट पर आंसर सीट को अपलोड नहीं किया गया। जिसके कारण अभ्यर्थियों से आपत्तियां प्राप्त नहीं की जा सकीं। इसके साथ साक्षात्कार के लिए अभ्यर्थियों की सूची जल निगम को उपलब्ध करा दी गयी थी। निगम ने भी आंसर सीट अपलोड न कराने का संज्ञान नहीं लिया। अंतिम परिणाम 24 दिसंबर 2016 को जारी किया गया, जिसमें आशुलिपिक पदों के लिए टाइप परीक्षा में कोई अभ्यर्थी सफल नहीं होने के कारण परीक्षा निरस्त करने का निर्णय लिया गया था। इस मामले में पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खां के साथ नगर विकास सचिव रहे एसपी सिंह, जल निगम के पूर्व एमडी पीके आसुदानी, जल निगम के तत्कालीन मुख्य अभियंता अनिल खरे के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। एसआईटी सभी अधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है। अब एसआईटी की जांच प्रकिया पूरी हो चुकी है, जिसमें आजम खां को दोषी माना गया है। एसआईटी की जांच में भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह दोषपूर्ण पायी गयी है। एसआईटी ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी दी है।

जल निगम के लिपिकों के अलावा सहायक अभियंता व अवर अभियंता के पदों पर भी एपटेक लिमिटेड मुंबई ने ही परीक्षा आयोजित की। इसमें असफल अभ्यर्थियों ने परीक्षा प्रणाली पारदर्शी न होने की शिकायत इलाहाबाद हाईकोर्ट में की थी। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर निगम के मुुख्य अभियंता स्तर के दो अधिकारियों से अलग-अलग जांच करायी गयी। एसआईटी को भी पूरे मामले की जांच सौंपी गयी। जांच में भर्तियों में गड़बड़ी मिली है। हाल ही में एसआईटी की शासन को सौंपी गयी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि भर्तियों में आपराधिक षडय़ंत्र कर संबंधित रिकार्ड को नष्ट कर दिया गया है।

रिपोर्ट मेंं कहा गया है कि इस दोषपूर्ण परीक्षा में जो अभ्यर्थी सफल या असफल हुए, उनको प्रमाणिक नहीं माना जा सकता है। मूल डाटा गायब होने से दोनों श्रेणी के अभ्यर्थियों को अलग अलग करना भी संभव नहीं है। ऐसे मेंं उक्त नियुक्तियों को 24 दिसंबर 2016 के प्रस्ताव से निरस्त कर शून्य घोषित किया गया है। आदेश में कहा गया है कि इनको अब तक प्राप्त हुए वेतन भत्ते आदि की वसूली नहीं की जाएगी। गौरतलब है कि पूर्व में गड़बड़ी पाए जाने पर 122 सहायक अभियंताओं की भर्तियां पहले ही निरस्त की जा चुकी हैैं। भर्तियों को लेकर भी तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां की मुश्किलें बढ़ सकती हैैं।

सपा से नाराजगी, मिलने आये वरिष्ठ नेताओं को बैरंग लौटाया

इससे पहले सोमवार को आजम से मिलने आए उनके बहनोई ने बताया कि वरिष्ठ नेता पार्टी के साथ न देने से खफा हैं। आजम का कहना है कि उन्हें मुस्लिम होने की सजा मिल रही है। उन्हें लगता है कि उनकी पार्टी ने उन्हें फेल किया है। उन्हें यह भी लगता है कि सत्तारूढ़ भाजपा इसलिए उन पर निशाना साध रही है, क्योंकि वह मुस्लिम हैं। आजम के बहनोई जमीर अहमद खान ने बताया, ‘वह इस बात से दुखी हैं कि जब भाजपा सरकार ने उन्हें निशाना बनाना शुरू किया तब उनकी पार्टी उनके साथ खड़ी नहीं दिखी। बाद में कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इस पर कुछ बोला तब जाकर लोग साथ आये।’ जमीर ने कहा कि आजम खान सपा से इतने खफा हैं कि उनसे मिलने आने वाले वरिष्ठ नेताओं से भी मिलने की इच्छा नहीं है। कई नेताओं को आजम ने कल लौटा दिया था। आजम के करीबियों का मानना है कि वह खुद को इस बात से ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं कि उनकी गिरफ्तारी के समय पार्टी चुपचाप देखती रही।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सीतापुर जेल में शिफ्ट किए जाने के एक दिन बाद आजम से मिलने गये थे, लेकिन पार्टी ने अपने नेता की गिरफ्तारी पर नाराजगी के सार्वजनिक प्रदर्शन से दूर रहने का फैसला किया है। आजम के एक करीबी ने बताया, ‘जिला स्तर पर प्रदर्शन जेल से राहत दिलाने में व्यर्थ हो सकते हैं लेकिन इससे कम से कम आजम को यह अहसास मिलेगा कि वह अपनी पार्टी के लिए जरूरी हैं।’ वहीं सपा के एमएलसी सुनील सिंह साजन ने जमीर अहमद के आरोपों का खंडन किया और कहा कि पूरी पार्टी आजम के साथ पहले दिन से खड़ी है। उन्होंने कहा कि, पहले ही दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश जेल में उनसे मिलने पहुंचे थे, बाद में प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम और अहमद हसन भी मिलने पहुंचे। साजन ने कहा, ‘पार्टी पहले दिन से आजम खान के साथ खड़ी है। हर छोटा-बड़ा नेता आजम खान साहब के दर्द में शामिल है। सांसद आजम खान के हौसले बुलंद हैं। वह बड़े नेता हैं। मुश्किलों से परेशान होने वाले नहीं हैं। सरकार के इशारे पर उन्हें परेशान किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी उनके साथ है।’

गाड़ी की विंडो सीट पर ही बैठने की जिद

इसकेे पूर्व सीतापुर जेल से रामपुर लाने के लिए आजम खां को जैसे ही गाड़ी में बीच की सीट पर बैठाया गया वह बिफर गये। वह गुस्सा होकर गाड़ी से उतर गये। वह गाड़ी की विंडो सीट पर बैठने पर अड़े हुए थे। इसके बाद वह दवा खाने का हवाला देते हुए जेल के अंदर चले गये। इससे सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। आजम खां जब जेल के अंदर से फिर लौटे तो गाड़ी की विंडो सीट पर ही बैठने की जिद पकड़ बैठे। जेल पुलिस उन्हें मनाने में जुटी रही।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here